स्वयं भू शंकराचार्यों के खिलाफ भी अभियान शुरू करे संत समाज : महामण्डलेश्वर डा. उमाकान्त सरस्वती

बरेली। जूना अखड़ा के महामण्डलेश्वर डा0 उमाकांत सरस्वती जी ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान विभिन्न विषयों पर बेबाकी से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने आम जनमानस को साधु वेष में छलियों से सावधान किया तो वहीं स्वयं भू शंकराचार्यों के खिलाफ अभियान छेड़ने का भी आह्वान संत समाज से किया। उन्होंने साफ कहा कि कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोग संन्यासी के चोले में संत समाज को बदनाम कर रहे है। साधु भेष में समाज को छलने वाले अपराधियों से समाज को सावधान करने के मकसद से अखाड़ा परिषद ने फर्जी साधु-संतो का चिन्हीकरण करने का काम शुरू किया है। वह भाजपा नेता पी.पी.सिंह के निवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

महामंडलेश्वर डा0 उमाकांत सरस्वती ने कहा कि अपराधी किस्म के लोग साधु वेष में बहुत पहले से अपराध करते रहे हैं। रावण ने सीता का हरण करने के लिए साधू वेष धारण किया था। इसी तरह के अनेक वृतांत हमारे धार्मिक ग्रंथों में मौजूद है। उन्होंने कहा कि महज चोला ओढ़ने से ही कोई साधु नहीं हो जाता। इसलिए यह कहना तो गलत होगा कि कुछ साधु पथभ्रष्ट हो गए है। हकीकत यह है कि लोगों की आस्था का लाभ उठाकर उन्हें ठगने के लिए कुछ अपराधियों ने साधु वेष धारण किए हुए है। ऐसे छद्म साधुओं से समाज को सचेत रहना चाहिए। शंकराचार्य परम्परा के बारे में बात करने पर उन्होने बेबाकी से स्वीकार किया कि शंकराचार्य तो चार पीठों के ही होने चाहिए। लेकिन देश में मौजूद दर्जनों शंकराचार्यो की मान्यता पर सवाल तो उठते रहे हैं। अब समय आ गया है कि स्वयं-भू शंकराचार्यों के खिलाफ भी संत समाज की ओर से कोई अभियान चलाकर आम लोगों को आगाह किया जाये।

राजनीति में पनप रहे भ्रष्टाचार के बारे में उन्होने कहा कि नैतिकता के अभाव में समाज का चारित्रिक पतन हुआ है। उन्होने अफसोस जताया कि देश के तमाम राजनीतिक दल शुचिता की बात तो करते है लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी राजनीति को साफ सुथरा नहीं बना सके हैं। उन्होंने कहा कि चिंतन से ही चरित्र बनता है। चिंतन की शुद्धि के बिना चरित्र निर्माण मुमकिन नहीं है। शिक्षण संस्थानों में अब नैतिकता नहीं पढ़ाई जाती है। जोर दिया कि स्कूल कॉलेजों में ही नैतिकता के पाठ शामिल करने से देश में बेहतर नागरिक बनेंगे। चरित्रवान नागरिकों के दम से ही देश को महान बनाया जा सकता है। नैतिकता के बिना सिर्फ भौतिक विकास की राह पर चलने से तो भ्रष्टाचार को मिटाना मुमकिन नहीं है। उन्होने यह भी कहा कि कोई ऐसी व्यवस्था जरूर होनी चाहिए जिसके जरिए भ्रष्ट और अपराधी किस्म के लोगों को संसद और दूसरी विधायी संस्थाओं में पहुंचने से रोका जा सके।

महामंडलेश्वर डा0 उमाकांत ने बताया कि उन्होंने धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए शाश्वतम् फाउंडेशन की स्थापना की है जिसका मुख्यालय मॉरिशस में है। इसके अलावा 40 देशों में इसकी शाखाएं भी हे। उन्होने बताया कि वे 24 से 29 सितम्बर तक राजेन्द्र नगर स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में सांय 5;30 बजे से 8;30 बजे रात्रि तक रोजाना श्रीराम कथा प्रवचन करेंगे।

 

 

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