आंवला। जीवन में जो जैसा ज्ञान प्राप्त करता है वैसा ही वह कर्म करता है। न जीव मरता है और न ही जन्म लेता है। वह तो किसी की छाया के रूप में परमेश्वर के महल से उतरकर आता है। फिर लौट जाता है। यह बात यहां सोमवार को शुरू हुए दो दिवसीय सत्संग में ‘‘एक तू सच्चा-तेरा नाम सच्चा’’ अभियान के बाबा फुलसंदे वालों ने कही।
बाबा फुलसंदे बालों ने कहा कि कोई सदा मजदूरी करता है, घोड़ा तांगा चलाता है। कोई अफसर बनता है, कोई मठ या मंदिर का पुजारी बन जाता है। कोई संगीतकार बनता है, कोई नेता कोई अभिनेता तो कोई राजा बनकर पूरे राज्य का स्वामी बन जाता है। लेकिन सच्चा ज्ञान और सच्ची भक्ति कौन करता है यह उसके कर्मों पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि कोई राजा बनकर भी वह पीपल, पत्थर, सांप, झाड़-पहाड़ खोजता फिरता है। एक मजदूरी करने वाला पारब्रह्म परमेश्वर की आराधना करता है। आत्मा में उस परमेश्वर के दिव्य प्रकाश और उसकी मित्रता को प्राप्त कर लेता है, वह महान प्रतापी ऋषि या फिर एक प्रकाशित आत्मा वाला देवता बन जाता है इसलिए जीवन का सच्चा ज्ञान हमें प्राप्त करना चाहिए। पवित्र कर्म करने का वास्तविक और सच्चा ज्ञान हमें प्राप्त करना चाहिए।
अज्ञान के अंधकार में ना गिरो
उन्होंने समझाया कि किसकी उपासना करें? जगत के सृजनहार आदि पुरुष परमेश्वर की या जीवन भर बंदर, पीपल, शनिचर, पत्थर, पानी को पूजते फिरें, इस बात का सच्चा ज्ञान हमें प्राप्त करना चाहिए अन्यथा सारा जीवन अज्ञान दुःख और मूर्खता में ही बीत जाएगा। सच्चा ज्ञान क्या है? सच्चा कर्म क्या है? सच्ची उपासना क्या है? इसे जानने की कोशिश करो। फिर उसका अनुसरण करो। उसका त्याग करके पुनः अज्ञान के अंधकार में ना गिरो और यह ज्ञान सत्पुरुष तुमको करा सकते हैं अन्य कोई नहीं।
अतः अपनी अधर्म बुद्धि छोड़कर सत्य के सनातन पथ में चलो। यदि तुमको इस जन्म मरण के बंधन से मुक्ति प्राप्त करनी है तो वेदों की ऋचाओं की सही व्याख्या करने वाले संतो के वचनों को अपनी आत्मा में धारण करो। सत्संग का समापन 30 जनवरी को पुरैना ढाल जीप स्टैंड के निकट रामलली धर्मशाला में होगा। कथा का अयोजन संजीव गुप्ता द्वारा कराया जा रहा है।