farmer exhibition बरेली। कमिश्नर प्रमांशु ने राजकीय उद्यान सेन्ट्रल पार्क दीन दयाल पुरम मे आयोजित दो दिवसीय किसान संगोष्ठी, प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने पेस्टीसाइट, इंसेक्टीसाइड, उर्वरक प्रयोग कम एवं आवश्यकतानुसार ही करने पर बल दिया। कहा कि ये स्वास्थ के लिए घातक है। आक्सीटोसन इंजेक्शन का प्रयोग भी घातक है। ज्यादा फायदे के चक्कर में दूसरे के जीवन स्वास्थ को नुक्सान न पहुॅचायें जीवन के हर पहलू में जितना हो सके ईमानदार बने।

नई तकनीकि, नई प्रजातियों व सरकारी अनुदान का लाभ उठायें। कृषि विविधीकरण, पशु पालन, फूलों की खेती, सब्जी खेती, पालीहाउस अपनायें इससे अच्छा लाभ मिलता है। फिजी देश में केमिकल फर्टिलाइजर नही है वहाॅ 40 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल की है। हरी खाद, गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम आयल, नीम की खाद का प्रयोग अधिक से अधिक करें। आर्गोनिक खेती को अपनाये।

पालीहाउस में वेमौसमी सब्जी, फूल उगाकर अच्छी आय की जा सकती है। उन्होंने उद्यान एवं कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसानों को विभिन्न जिलों में विकसित पालीहाउस का भ्रमण करायें। संगोष्ठी में भारी संख्या में कृषकों की उपस्थित पर कमिश्नर ने खुशी जाहिर की। यह किसानों की उत्सुकता को जाहिर करती है।

जिलाधिकारी पंकज यादव ने कहा कि जिन किसानों ने परम्परागत खेती के स्थान पर नई तकनीक का प्रयोग किया वह तेजी से आगे बढ़ गये हंै। हर व्यक्ति को संतुलित आहार की जरूरत है अतः सब्जी, फलों की हमेशा मांग रहती है इसे किसान अपनाये। फूलों की खेती आय का अच्छा साधन बन सकता है। पशुपालन, मौन पालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन आदि कार्य खेती के साथ अपनाये इससे अतिरिक्त आय बढ़ेगी।

प्रदर्शनी में तकनीकि दिखाई गई है इसे सीखे, वैज्ञानिकों से अपनी समस्याये पूछे।इस अवसर पर प्रगतिशील किसान मो. अफजाल, नत्थू बक्शी, सीताराम, बाबूराम को कमिश्नर प्रमांशु, जिलाधिकारी पंकज यादव व मुख्य विकास अधिकारी शिवसहाय अवस्थी ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। अधिकारियों ने प्रदर्शनी में लगे कृषि, उद्यान, गन्ना आदि विभागों के स्टालों का भी अवलोकन किया।

इन स्टालों पर किसानों से सम्बन्धित खाद, बीज, कीटनाशक आदि की जानकारियाॅ प्रदर्शिति की गई तथा प्रचार साहित्य वितरण किया गया।संगोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों ने ग्रीन हाउस में फूल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मशरुम उत्पादन, तकनीकी विधि से बाग लगाने आदि बिन्दुओं पर विस्तार से जानकारी दी। जिन कृषि क्षेत्रों में जंगली जानवर की समस्या है वहाॅ गुलाब, गेदा, बेला की खेती का सुझाव दिया। किसानों को ग्रुप में खेती का सुझाव दिया गया। बरेली में औषधीय खेती की बड़ी सम्भावना है। सतावर, अकरकरा की खेती में किसान सफल हुये है। लौकी, खीरा की फसल को जल्दी पाने के लिये अभी सर्दी में ही पौध बनाने का सुझाव दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डीएचओ  पूजा ने किया तथा धन्यवाद उपनिदेशक उद्यान ने किया। संगोष्ठी के दूसरे दिन किसानों को फील्ड भ्रमण कराया जायेगा।

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