वाशिंगटन। दुनियाभर में षड्यंत्रकारी और भू-माफिया के रूप में बदनाम चीन की छवि पर कोरोना वायरस ने एक और कील ठोंक दी है। दरअसल कोरोना वायरस महामारी के बीच जैसे-जैसे समय बीत रहा है, चीन की संदिग्ध भूमिका के बारे में नये-नये खुलासे हो रहे हैं। समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) ने खुलासा किया है कि चीन ने कोरोना के बारे में जानकारी देने में काफी देरी की। एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि चीनी अधिकारियों ने कोरोना के जीनोम के बारे में तब बताया जब एक हफ्ते पहले ही दुनिया के कई देश अपनी-अपनी प्रयोगशालाओं में इस जानलेवा वायरस की आनुवंशिकी का खुलासा कर चुके थे। गौरतलब है कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देश कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं।
इस रिपोर्ट से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी कटघरे में खड़ा नजर आ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल जनवरी के महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस पर जानकारी देने को लेकर चीन की तारीफें करता रहा जबकि वास्तविकता यह है कि चीन ने कोरोना की जांच के लिए कौन-सी किट का इस्तेमाल किया और संक्रमितों को क्या दवाएं दी इस बारे में दुनिया को कुछ भी नहीं बताया। एसोसिएटेड प्रेस ने यह सनसनीखेज खुलासा आंतरिक दस्तावेज, ईमेल और दर्जनों साक्षात्कारों के हवाले से किया है।
समाचार एजेंसी ने चीन की पोल खोलने वाली अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन खुद भी इस बात को लेकर चिंतित था कि कोरोना वायरस से दुनिया को खतरे का आकलन करने के लिए चीन उसको पर्याप्त सूचनाएं मुहैया नहीं करा रहा है जिससे कीमती वक्त बर्बाद हो रहा है। एक बैठक में उसके एक शीर्ष अधिकारी डॉ. गौडेन गालिया ने कहा था कि चीन अपने सरकारी चैनल सीसीटीवी पर सूचना प्रसारित होने से महज 15 मिनट पहले जानकारी साझा कर रहा है। महामारी की शुरुआत में हुई घटनाओं के खुलासे पर यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब चीन के साथ साथ खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन भी सवालों के घेरे में है। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दुनिया का कोई भी मुल्क उन आंकड़ों को बाकी देशों से साझा करने के लिए बाध्य होता है जिससे जन स्वास्थ्य पर असर पड़ता हो। लेकिन, बड़ा सवाल यह कि आखिरकार चीन ने दुनिया के साथ ऐसा किया क्यों? सनद रहे कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा था कि चीन हमेशा समय पर विश्व स्वास्थ्य संगठन को आंकड़े मुहैया कर रहा है लेकिन मौजूदा रिपोर्ट चीनी राष्ट्रपति के दावे की पोल खोलती है। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीन के साथ मिलीभगत है और वह महामारी की से जुड़े तथ्यों को छिपा रहा है।
यह रिपोर्ट कहती है कि जानकारी देने संबंधी अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू कराने का अधिकार विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास नहीं हैं। यानी वह सदस्य देशों के सहयोग पर ही पूरी तरह निर्भर है। समाचार एजेंसी ने दस्तावेजों के आधार पर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खुद को अंधेरे में रखा और चीन की तारीफों में कसीदे पढ़े जबकि चीन ने उसे न्यूनतम जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन चीन की छवि सुधारने में ही जुटा रहा जबकि ज्यादा जानकारी मिलने पर संकट को शुरुआत में ही खत्म करने में मदद मिलती। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी खुद परेशान थे कि कैसे प्रशासन को नाराज किए बिना चीन पर अधिक सूचना के लिए दबाव बनाया जाए।
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