बरेली। वह सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार था। सत्ता के लालच ने उसे अंधा कर दिया। यहां तक कि सिंहासन के लिए उसने अपनों की हत्याएं कर डालीं लेकिन…। बुराई का अंत भी बुरा ही होता है। और अंत में वह भी मारा जाता है। जी हां, वह मैकबेथ ही था जिसने सत्ता के लिए मैकडफ और अन्य साथियों के परिजनों को भी मौत के घाट उतार दिया। लेकिन बाद में खुद भी मैकडफ के हाथों मारा गया। यह सब कुछ हुआ रक्षपाल बहादुर मैनेजमेण्ट कॉलेज के सभागार में।
आरबीएमआई (RBMI) में सोमवार को शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक ‘मैकबेथ‘ जिसका हिंदी रूपांतरण रांगेय राघव ने किया है, का मंचन किया गया। दयादृष्टि रंग विनायक रंग मण्डल के कलाकारों के जबरदस्त अभिनय और मंच की शानदार सज्जा ने दर्शकों को बांधे रखा। निर्देशन मोहित सोलंकी द्वारा किया गया।
शेक्सपियर द्वारा रचित स्कॉटलैण्ड पर आधारित इस नाटक में डायनों का भी प्रभावी भूमिका दिखायी गयी है, जो कि यह सिद्ध करती है कि भूतकाल से लेकर वर्तमान तक भी अंधविश्वास जारी है। नाटक के मंचन के समय संस्थान का विशाल सभागार खचाखच भरा हुआ था, इस सभागार में छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावक, शिक्षक-शिक्षिकाएं आदि उपस्थित रहे। इस रोमांचित कर देने वाले नाटक के सजीव मंचन पर दर्शक बार-बार तालियां बजाने को मजबूर हो गये।
इससे पूर्व संस्थान की अधिशासी अध्यक्षा श्रीमती वीना माथुर एवं प्रबन्ध निदेशक नवीन प्रसाद माथुर द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलित किया गया। इसके उपरान्त संस्थान के निदेशक डॉ0 नीरज सक्सेना ने मैकबेथ नाटक के बारे में दर्शकों को बताया और दयादृष्टि रंग विनायक रंग मण्डल के कलाकारों का भी परिचय दिया।