Astro Desk @BareillyLive. शरद पूर्णिमा को लेकर एक भ्रम की स्थिति बन रही है कि शरद पूर्णिमा पर व्रत कैसे रहा जाए और उसका परायण किस प्रकार करें। इस संदर्भ में विभिन्न धर्माचार्यों एवं शास्त्र वेदाताओं से चर्चा करने के उपरांत यह निष्कर्ष समझ पड़ता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत 28 अक्टूबर शनिवार को रहेगा।
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार व्रत का परायण सूतक काल से पूर्व अर्थात सायंकाल 4ः00 बजे से पूर्व पूजा अर्चना कर पूर्व उत्तर दिशा की ओर मानसिक आराधना कर जल का अर्घ्य भगवान चंद्रमा को अर्पित कर देना चाहिए। तत्पश्चात अपना व्रत खोल लेवें। इसी तरह खीर का भोग चंद्र किरणों के लिए जो कि चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है वह सूतक काल से पूर्व तैयार कर उसमें उसे अथवा तुलसी दल डालकर रख ले ग्रहण काल पूर्ण होने के पश्चात चंद्रमा की किरणों में रखकर उसकी संपूर्ण लाभ ले सकते हैं।
ग्रहण विवरण –
ग्रहण सूतक शुरू – दिन में 04ः05 से ( 16ः04)
ग्रहण शुरू – रात 01ः03 ( 25ः05)
ग्रहण विराम रात – 02ः22 ( 26ः24 )
व्रत – सभी भक्तजन नित्य की तरह व्रत में रहें, शाम को 4 बजे तक व्रत के सभी कार्य (पूजा, फलाहर आदि) पूर्ण कर लें
बिना विग्रह स्पर्श किये श्लोक, स्त्रोत, मंत्र, आरती आदि ईश्वरीय गायन, पठन-पाठन कर सकते हैं। इसका लाभ हजारों गुना होता है।
चंद्र अर्घ्य – पूर्णिमा के व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देना अति आवश्यक होता है। ग्रहण के चलते इसके दो तरीके हैं-
1- रात में ग्रहण विराम के बाद स्नान करे फिर चंद्रमा को अर्घ्य दें या
2- शाम को सूतक प्रारंभ होने से पूर्व अर्घ्य शिवजी भगवान को
अर्पित कर दें। ध्यान रहे के भगवान शिव ही चंद्रदेव हैं।
इस दिन चंद्रमा उदय शाम 05ः12 पर होंगे अर्थात सूतक प्रारंभ के वाद, और सूतक काल में चंद अर्घ्य देना उचित नहीं इसलिए अर्घ्य सूतक शुरू से पहले शिवजी को दें। इस प्रकार आप अपने व्रत कर व्रत का परायण कर सकते हैं।