BareillyLive. बरेली के एमबी इण्टर कॉलेज मैदान पर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन चल रहा है। भागवत कथा के द्वितीय दिवस कथाव्यास साध्वी आस्था भारती ने प्रह्लाद भक्त की गाथा सुनाते हुए ‘सुख’ को परिभाषित किया। साध्वी जी ने एक कहानी सुनाते हुए कहा- एक आदमी जो बहुत अमीर था, उसने हिल स्टेशन पर जाने का प्लान बनाया। उसने ऐसी नाव का इंतज़ाम किया, जिसमें हर प्रकार की सुविधा हो। हर तरह का भोजन हो और उसे सर्व करने के लिए साथ में नौकर भी ले लिए।
बस फिर क्या था! पूरा मज़ा करते हुए वह अपनी यात्रा कर रहा था। लेकिन तभी अचानक उसके फोन की घंटी बजी। फोन पर उसे अपने किसी करीबी रिश्तेदार की मृत्यु का समाचार मिला। जैसे ही उसने इस दुःखद समाचार को सुना तो हर वह वस्तु जो अब तक उसे आनन्द दे रही थी, अब उसके लिए उनका कोई अर्थ नहीं रहा। भोजन तो अब भी वही था लेकिन उसमें वो स्वाद नहीं रहा।
सुख-साधन तो अब भी सामने थे परन्तु अब वे चाहकर भी उसे सुख नहीं दे पा रहे थे। यह सिद्ध करता है कि संसार के भोग-ऐश्वर्यों में सुख नहीं है। सुख तो मनुष्य के अंतर्मन की स्थिति पर निर्भर करता है। सुख शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। ‘सु’ अर्थात् सुंदर और ‘ख’ अर्थात् अंतःकरण। जिसका अंतःकरण सुंदर और पवित्र हो, वही वास्तव में सुखी है। मनुष्य का अंतःकरण तभी सुंदर और पवित्र हो सकता है, जब वह अपने वास्तविक स्वरूप से परिचित हो जाएगा और यह केवल अध्यात्म द्वारा ही संभव है।
उन्होंने कहा कि गुरु श्री आशुतोष महाराज का दर्शन यही पवित्रता जनमानस को प्रदान कर रहा हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का ‘अंतरक्रांति प्रकल्प’ यानि बंदी सुधार एवं पुनर्वास कार्यक्रम। आज भारत के विभिन्न राज्यों के कारागारों में कैदियों को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर जागृत किया जा रहा है। उनके लिए अनेक प्रशिक्षण कार्यशालाएं भी संचालित की जाती हैं। आज इसके माध्यम से सजागृह को सुधारगृह में बदला जा रहा है।
इस अवसर पर सुधीर शर्मा, सुमित गंगवार, नरेन्द्र कुमार शर्मा, लाखन सिंह, राधेश्याम शर्मा, कृष्णा सिंह मर्तोलिया, निशांत चौहान, सोमपाल गंगवार, दैनिक यजमान-चन्द्र भान सिंह, दिनेश कुमार यादव, श्रीमती प्रवेश गुप्ता, श्रीमती संतोष शर्मा, डाँली शर्मा, लेखराज, विघ्नेश शर्मा आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।