sir-kati-haveli-kanpur-1कानपुर। वो करीब दो सौ साल पुरानी हवेली है। यहां सिर विहीन यानी कटे सिर की मूर्तियां हैं। यहां एक बीस नाखूनों वाला दुर्लभ प्रजाति का कछुआ भी है, साथ ही विष्णु और लक्ष्मी की प्राचीन मूर्ति भी। हवेली का नाम डरवना और विचित्र है।

आइए जाने आखिर क्या है इस ‘कटे सिर की हवेली‘ का राज?

कानपुर के दादानगर में बरसों पुरानी है हवेली। लोग इसे ‘सिर कटी हवेली‘ के नाम से जानते हैं। ये हवेली बड़ी खास है। जैसा कि नाम से जाहिर है, सिर कटी हवेली में कई कटे हुए सिर लगे हुए हैं। ये सिर इंसानों के नहीं बल्कि कटे सिर के आकार में बनी मूर्तियां हैं। इनमें राक्षस, देवी-देवताओं सहित कई अन्य तरह की मूर्तियां भी लगी हुई हैं। यहां तक कि इसका मेन गेट किसी राक्षस के हंसते हुए मुंह जैसा है।

हवेली के मालिक राजीव सिंह हैं। राजीव के अनुसार हवेली में 200 साल पुरानी विष्णु और लक्ष्मी की मूर्ति भी है। लोग दूर-दूर से लोग हवेली देखने आते हैं। यहां छोटा सा तालाब भी बना है जिसमें 20 नाखूनों वाला दुर्लभ कछुआ है। राजीव सिंह बताते हैं कि हवेली पुश्तैनी है। उनके पूर्वज तंत्र-मंत्र में रुचि रखते थे। वे इसी काम के लिए यहां आते थे और तंत्र-मंत्र की कठिन साधनाओं को अंजाम देते थे। उनके घर में कई देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। अमर उजाला.काम से साभार

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By vandna

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