लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 100 से अधिक अनुदानित संस्थानों के शिक्षकों- शिक्षणेतर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन मिलेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यह फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि नई पेंशन योजना लागू होने के पूर्व नियुक्ति होने के कारण ये लोग पुरानी पेंशन पाने के हकदार हैं। साथ ही उन्हें पुरानी योजना के तहत पेंशन का भुगतान करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है।
न्यायमूर्ति इरशाद अली ने यह अहम फैसला उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ समेत अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों की 66 याचिकाओं पर सुनाया। ये याचिकाएं वर्ष 2009 व इसके बाद दायर हुई थीं।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचियों की नियुक्ति 1 अप्रैल, 2005 को लागू नई पेंशन योजना से काफी पहले की थी। इसलिए वे पुरानी पेंशन के हकदार हैं। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि संबंधित प्रक्रिया के बाद संस्थानों के प्रबंधकों की सहभागिता (राशि) जमा होने के बाद पेंशन जारी की जाएगी।
यह है मामला
1989-98 के बीच प्रदेश में कई सीनियर बेसिक स्तर के संस्थान स्थापित हुए। इनमें शिक्षकों व अन्य स्टाफ की तैनाती की गई। सरकार ने 28 अप्रैल 2005 से मासिक पेंशन योजना बंद कर इसकी जगह नए भर्ती कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल, 2005 से नई सहभागिता पेंशन योजना लागू कर दी। साथ ही इन संस्थानों के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनके संस्थान नई पेंशन योजना लागू होने के बाद लाए गए। 2 दिसंबर 2006 से राज्य सरकार ने 1989-98 के बीच खुले 100 संस्थानों को अनुदान सूची में भी ले लिया। इसी से संबंधित शासनादेश के खिलाफ याचिकाएं दायर हुईं थीं जिन्हें हाईकोर्ट ने मंजूर कर प्रश्नगत शासनादेश को रद्द कर दिया।