हुआ यूं कि 29 साल पहले तहसील के तत्कालीन लेखपाल जाकिर खां को किसी मामले में निलंबित किया गया था। इससे नाराज जाकिर ने निलंबन के बाद सरकारी रिकार्ड कार्यालय में जमा नहीं किया तथा अपने साथ लेकर चले गए। इस पर तत्कालीन उपजिलाधिकारी ने जाकिर खां के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। कानूनी दांवपेचों में साल दर साल बीतते रहे। मुकदमेबाजी के साथ ही इन सालों में अनेक प्रयास किए गए परन्तु सरकारी अभिलेख प्राप्त नहीं हो सके। ऐसे में किसी प्रकार आधा-अधूरा रिकार्ड बनाकर काम चलाया गया।
पिछले दिनों जाकिर खां ने वर्तमान उपजिलाधिकारी ममता मालवीय को 29 साल बाद वह सरकारी रिकार्ड सौंप दिया। इस रिकार्ड के अनुसार कस्बे में 10 तालाब थे, जो अपना मूल स्वरूप खो चुके हैं।
रिकार्ड के आधार पर एसडीएम ममता मालवीय, संयुक्त मजिस्ट्रेट अनुपम शुक्ला, नगर पालिका ईओ राजेश सक्सेना ने अपनी टीम के साथ नबाब अली मोहम्मद खां का मकबरा व उसके पास बने पक्का तालाब को पालिका की सम्पत्ति बताया। उन्होनें बताया कि गाटा सं0 963 व 964 में में मकबरा दर्ज है जिसका रकबा करीब 100 बीघा है। एसडीएम ने आंवला-बिसौली मार्ग पर लाल मकबरे के आस-पास की भूमि की भी पैमाइश कराई इस मकबरे में कई नबाब परिवार के कई रुहेला सरदार दफन हैं।
सन् 1730 में रूहेला सरदार नबाब अली मोहम्मद खां ने आंवला पर अधिकार कर इसे अपनी राजधानी बनाया। 1742 में मुरादाबाद के सूबेदार राजा हरनंद को उन्होंने युद्ध में हराकर पूरे रूहेलखंड पर अधिकार कर लिया। उनकी मौत के बाद हाफिज रहमत खां ने इस मकबरे का निर्माण कराया था। बाद में नबाब लोग रामपुर जाकर बस गए।
इधर बीते 29 सालों में सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से भू-मफियाओं ने करोड़ों रूपए की सरकारी जमीनों और तालाबों पर कब्जाकर सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द कर बिक्री भी कर दी। इन जमीनों पर कालोनियां विकसित कर इमारतें बना लीं। 29 साल बाद मिले रिकार्ड के मुताबिक नगर में 10 तालाब हैं जबकि नगर मेंं एक भी तालाब अपने पुराने स्वरूप में नहीं है। मकबरे की भूमि पर कई संक्रमणीय भूमिधर भी है जिनकी फसलें लहलहा रही हैं।
‘‘इस मामले में एसडीएम ममता मालवीय का कहना है कि अवैध कब्जेदारों को नोटिस दिया जाएगा, उनके द्वारा स्वयं कब्जा न हटाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सरकारी सम्पत्ति और तालाबों को कब्जामुक्त कराया जाएगा।
पूर्व विधायक नबाब काजिम अली का कहना है कि नबाब अली मोहम्मद खां का मकबरा व उससे सम्बन्धित सभी भूमि व सम्पत्ति उनके पूर्वजों की है वह उसके वारिस हैं। उक्त सभी सम्पत्ति सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज है, इसका पालिका से कोई लेना-देना नहीं है। यह रूहेलों के इतिहास की निशानी है।
पालिका चेयरमैन संजीव सक्सेना का कहना है कि नगर पालिका क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली किसी भी भूमि पर अवैध कब्जों को हटवाया जाएगा। साथ ही ऐतिहासिक स्थलों का सौन्दर्यीकरण कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।
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