Bareillylive : एसआरएमएस रिद्धिमा में रविवार (2 फरवरी) को रवींद्रनाथ टैगोर लिखित संगीतमय नाटक चित्रा का मंचन हुआ। रुबरू थिएटर दिल्ली की प्रस्तुति इस नाटक का निर्देशन काजल सूरी ने और नाटकीय रूपांतरण विक्रम शर्मा ने किया। इस नाटक का पहली बार मंचन 1913 में इंडिया सोसाइटी ऑफ लंदन द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया था। नाटक में महाभारत की एक प्रमुख पात्र चित्रांगदा और अर्जुन की कहानी है। यह चित्रा के साथ शुरू होता है। प्रेम के देवता मदन चित्रा से पूछते हैं कि वह कौन है और उसे क्या परेशान कर रहा है, जिस पर वह जवाब देती है कि वह मणिपुर के राजा की बेटी है। उसका पालन-पोषण एक लड़के की तरह हुआ है, क्योंकि उसके पिता का कोई वारिस नहीं था। वह एक महिला के रूप में पैदा होने के बावजूद एक महान योद्धा और नायक हैं, लेकिन उन्हें कभी भी एक महिला के रूप में जीने का मौका नहीं मिला। चित्रा बताती है कि जब वह खेल के लिए शिकार कर रही थी, तब जंगल में योद्धा नायक अर्जुन से उसकी मुलाकात हुई थी। यह जानने के बावजूद कि उसने बारह साल का ब्रह्मचर्य सहित कई प्रतिज्ञाएं की थीं, चित्रा को उससे प्यार हो गया। लेकिन अर्जुन ने उसके प्यार को ठुकरा दिया। चित्रा देवता से उसे पूर्ण सौंदर्य देने के लिए विनती करती है, ताकि वह अर्जुन पर जीत हासिल कर सके। उसकी विनती सुन कर देवता उसे सुंदरता के साथ साथ अर्जुन के साथ बिताने के लिए पूरे एक वर्ष का समय देते हैं। उसकी सुंदरता अब अर्जुन को यह कहने के लिए प्रेरित करती है कि वह अब अपनी प्रतिज्ञा को नहीं निभाएगा। मदन चित्रा को अर्जुन के पास जाने और उसके साथ वर्ष बिताने की सलाह देता है और वर्ष के अंत में जब पूर्ण सौंदर्य का जादू चला जाता है तो अर्जुन सच्ची चित्रा को गले लगाने में सक्षम होगा। चित्रा ऐसा करती है। बहुत समय बीत जाने के बाद, अर्जुन बेचैन होने लगता है और एक बार फिर शिकार करने की लालसा करता है। वह चित्रा से उसके अतीत के बारे में सवाल पूछना शुरू कर देता है, सोचता है कि क्या उसके घर में कोई है जो उसे याद कर रहा है। चित्रा कहती है कि उसका कोई अतीत नहीं है और वह ओस की एक बूंद की तरह क्षणिक है, जो अर्जुन को परेशान करती है। हालांकि, लगभग उसी समय, अर्जुन योद्धा राजकुमारी चित्रा की कहानियां सुनता है और सोचता है कि वह कैसी हो सकती है। चित्रा ने उसे अपना नाम कभी नहीं बताया, अर्जुन चित्रा को कहता है कि कुछ ग्रामीणों ने उन्हें सूचित किया है कि मणिपुर पर हमला हो रहा है। चित्रा ने उसे आश्वासन दिया कि शहर अच्छी तरह से सुरक्षित है। अर्जुन का मन राजकुमारी के विचारों से भरा हुआ है, जिस पर चित्रा पूछती है कि क्या वह उसे और अधिक प्यार करेगा यदि वह राजकुमारी चित्रा की तरह होती, जिसकी वह प्रशंसा करता है। नाटक के अंत में चित्रा ने अर्जुन के सामने स्वीकार किया कि वह राजकुमारी है जिसके बारे में उसने बात की थी और उसने उसे जीतने के लिए सुंदरता की भीख मांगी। वह स्वीकार करती है कि वह एक आदर्श सौंदर्य नहीं है, लेकिन अगर वह उसे स्वीकार कर लेता है तो वह हमेशा उसके साथ रहेगी। चित्रा यह भी स्वीकार करती है कि वह गर्भवती है। अर्जुन इस खबर पर खुशी प्रकट करता है। नाटक में चित्रा और अर्जुन की प्रमुख भूमिका वर्षा और स्पर्श रॉय ने निभाई। शुभम शर्मा (मदन), नीरज तिवारी (योद्धा 1), कृष बब्बर (योद्धा 2) ने भी अपनी भूमिकाओं में न्याय किया। नाटक में रशीद ने मेकअप की जिम्मेदारी निभाई तो कॉस्ट्यूम और बैंक स्टेज जसकिरण चोपड़ा और गीता सेठी ने संभाला। इसमें संगीत संचालन प्रवीण ने किया। इस अवसर पर एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, उषा गुप्ता जी, सुभाष मेहरा, डा.प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार सहित शहर के गण्यमान्य लोग मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!