पूर्वोत्तर : राष्ट्रवाद से राष्ट्र निर्माण की ओर… विषय पर संवाद कार्यक्रम
बरेली। राष्ट्रवाद की भावना से ही नये भारत का निर्माण संभव है। भारत में बीती सदियों में मुगलों से लेकर अंग्रेजों और काले अंग्रेजों का शासन देखा है। सभी ने भारतीयता पर हमले किये। लोगों में फूट डालकर राज किया। लेकिन आदिकाल से भारत लोगों के दिलों मे धड़कता है। यही राष्ट्रवाद की भावना है। आज यह और बलबती हुई है। इसी का परिणाम है पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकारें बनना। यह भाजपा की नहीं राष्ट्रवाद की जीत है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह सुरेश जी ने ये बातें कहीं। वह अर्बन कोआपरेटिव बैंक सभागार में करुणा सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता थे। कार्यक्रम का विषय था – पूर्वोत्तर : राष्ट्रवाद से राष्ट्रनिर्माण की ओर…।
उन्होंने कहा कि भारत को तोड़ने के लिए बहुत षडयंत्र हुए हैं। आज भी हो रहे हैं। भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाये जाते हैं लेकिन राष्ट्रवादियों का अटल विश्वास है कि अब भारत का कोई विभाजन नहीं होगा। बल्कि भारत को पूर्व की भांति बृहद कैसे बनाया जाये, इस पर काम होगा।
विशिष्ट अतिथि डॉ. रुचिन अग्रवाल ने कहा कि पूर्वोत्तर में राष्ट्रवाद की जीत से वहां विकास के नये मार्ग प्रशस्त हुए हैं। वामपंथी विचारधारा पूरे विश्व से लुप्तप्राय होती जा रही है।
एक वायरस की तरह है वामपंथ
कार्यक्रम संयोजक और माई होम इण्डिया के प्रतिनिधि गिरीश पाण्डेय ने कहा कि वामपंथ एक वायरस की तरह है। बामपंथी कुतर्क की हद तक जाते हैं और अपनी गलत बात को थोप देते हैं। उन्हें कहा कि वामपंथी वायरस से मुकाबला केवल राष्ट्रवाद का एण्टीवायरस कर सकता है। इसलिए आवश्यक है कि समय-समय पर राष्ट्रवादी कार्यक्रम और लोगों से चर्चा करके, भारतीय प्राचीन संस्कृति को जानकर, वेद, गीता और अन्य भारतीय साहित्य पढ़कर अपने पूर्वजों का इतिहास पढ़कर इस एंटीवायरस को निरन्तर अपडेट किया जाये।
वरिष्ठ पत्रकार महेन्द्र मनुज ने देश और राष्ट्र की अवधारणा को स्पष्ट किया। कहा कि भारत उन्नत और विकसित राष्ट्र तभी बन सकेगा जब पूरा देश एक समान भावना से ओतप्रोत हो। यह भावना राष्ट्रवाद की ही हो सकती है।
हिन्दी है राष्ट्र को एक माला में पिरोने का सूत्र
संघ के महानगर प्रचारक डॉ. शैलेष चौहान ने भी राष्ट्रवाद को किसी भी देश की आत्मा बताया। कहा कि हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो देश को एक सूत्र में पिरो सकती है।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ असम से बरेली आकर पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी विमल द्वारा एकी गीत गाकर की गयी। इस असमिया गीत में बताया गया कि पूर्वोत्तर में भी गाय की पूजा की जाती है। वहां हर कोई गोमांस नहीं खाता। अन्य विद्यार्थियों ने पूर्वोत्तर के राज्यों में व्याप्त समस्याओें पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालान करुणा सेवा समिति के संजय शुक्ला ने किया।
इस अवसर पर डा. पवन अग्रवाल, डॉ. विवेक मिश्रा, महेश चंद्र पाण्डेय, विशाल गुप्ता, सचिन श्याम भारतीय, नीरज गर्ग, कमल श्रीवास्तव, पूर्वोत्तर से आये हुए विमल, वलिन, लक्ष्यजीत, अजय जी , नितेश कपूर, सलभ शर्मा, पृथु वात्सायन समेत बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।