मुंबई। कोरोना की दूसरी लहर रोजगार के मामले में पिछले साल की पहली लहर की तरह घातक साबित हो रही है। दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लागू किए गए नाइट कर्फ्यू, लॉकडाउन व अन्य पाबंदियों की वजह से से 75 लाख से अधिक लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। इसके चलते बेरोजगारी दर चार महीनों  के उच्च स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (सीएमआईई) ने सोमवार को यह जानकारी दी।

सीएमआईई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) महेश व्यास ने कहा कि आने वाले समय में भी रोजगार के मोर्चे पर स्थिति चुनौतीपूर्ण बने रहने की आशंका है। उन्होंने कहा, “मार्च की तुलना में अप्रैल में हमने 75 लाख नौकरियां गंवाईं। इसके कारण बेरोजगारी दर बढ़ी है।”

केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.97 प्रतिशत पहुंच गई है। शहरी क्षेत्रों में 9.78 प्रतिशत जबकि ग्रामीण स्तर पर बेरोजगारी दर 7.13 प्रतिशत है। इससे पहले, मार्च में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.50 प्रतिशत थी। ग्रामीण और शहरी दोनों जगह यह दर अपेक्षाकृत कम थी।

कोविड-19 महामारी बढ़ने के साथ कई राज्यों ने लॉकडाउन समेत अन्य पाबंदियां लगायी हैं। इससे आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा और फलस्वरूप नौकरियां प्रभावित हुई हैं। 

महेश व्यास ने कहा, “मुझे नहीं पता कि कोविड-महामारी कब चरम पर पहुंचेगी लेकिन रोजगार के मार्चे पर दबाव जरूर देखा जा सकता है।” हालांकि, उन्होंने कहा कि फिलहाल स्थिति उतनी बदतर नहीं है जितनी कि पहले लॉकडाउन में देखी गई थी। उस समय बेरोजगारी दर 24 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।

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