BareillyLive: रामपुर बाग स्थित आनंद आश्रम में श्री राम कथा वाचन करते हुए पंडित बृजेश पाठक ने कहा कि परिवार को संगठित रखने के लिए परिवार के सदस्यों में समता का भाव जरूरी है! यदि परिवार के एक भी व्यक्ति के व्यवहार में विषमता आ जाए तो पूरा परिवार बिखर जाता है! रामायण में माता कौशल्या के जीवन में यही समता का भाव दिखाई देता है उन्होंने कभी भी श्री राम और भरत में भेद नहीं किया इतना ही नहीं राम वन गमन के बाद जब भरत ननिहाल से लौट कर के आए और माता कौशल्या से मिले तो और कोई मां होती है तो मुंह फेर लेती इसके कारण ही मेरे पुत्र को बनवास हुआ है पर तुलसीदास जी लिखते हैं उन्हें तो ऐसा लगा जैसे मेरा राम बन से लौट आया है और उन्होंने भरत को हृदय से लगा लिया! इतना ही नहीं उन्होंने श्री राम को भी बचपन से यही सिखाया कि तुम्हारी माता कौशल्या नहीं कैकेई है मैंने तो केबल तुम्हें जन्म दिया है !
इसी शिक्षा का कारण था कि प्रभु राम कौशल्या से ज्यादा कैकई का आदर करते थे! बालक के निर्माण में माता का बहुत बड़ा हाथ होता है वह जैसा चाहे अपने बालक का जीवन बना सकती है !माता कौशल्या ने स्वयं सबके साथ समता का व्यवहार किया और श्री राम को भी सभी माताओं का समान आदर करने की प्रेरणा दी! जबकि कैकई जी अपने व्यवहार में समता नहीं रख सकी उन्हें अपने पुत्र भरत और राम में अंतर दिखाई दिया और इसी विषमता के कारण उन्होंने वह किया जिससे अयोध्या वीरान हो गई और परिवार बिखर गया इसलिए जो व्यक्ति अपने परिवार को संगठित रखना चाहता है उसे अपने व्यवहार में समता लानी ही होगी! अगर व्यवहार में समता ना हो तो परिवार बिखर जाता है, देश बिखर जाता है ,पूरा समाज बिखर जाता है! देश समाज और परिवार को बचाने के लिए समता का होना बहुत जरूरी है! कथा 20 अक्टूबर तक चलेगी। इस अवसर पर नरसिंह मोदी, अनुज अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, महेश अग्रवाल, सर्वेश अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, नीतू अग्रवाल उपस्थित रहीं।