बरेली, 28 जनवरी। ‘कहां गये मेरे उगना’। उगना यानि भगवान शिव। सत्यम, शिवम, सुन्दरम का संदेश देते इस नाटक का मंचन गुरुवार को विण्डरमेयर में चल रहे थिएटर फेस्ट में किया गया। इसके मंचन में एक अद्भुत प्रयोग किया गया। यह प्रयोग छह सौ साल पहले के विद्यापति और उनके समाज को आज के बाबा नागार्जुन, राजकमल और रेणु के साथ जोड़कर चलने का था। जिसे किया नाटक के निर्देशक संजय उपाध्याय ने। मंचन किया बिहार पटना के निर्माण कला मंच ग्रुप ने।
कहानी के अनुसार चैदहवीं शताब्दी में मिथिला में ओइनवार वंश का राज्य था, जो दिल्ली और जौनपुर के सुल्तान के अधीन था। राजा शिव सिंह उसी वंश के राजा थे। कवि विद्यापति पांच राजाओं के राज पंडित होते हुए भी राजा शिव सिंह के सखा थे। सुल्तान को कर नहीं देने पर शिव सिंह कैद हुए तो विद्यापति ने उन्हें मुक्त कराया, लेकिन क्रोधित शिव सिंह ने विद्रोह कर दिया जिस पर सुल्तान ने राज्य पर चढ़ाई कर दी। शिव सिंह भाग निकले। विद्यापति और रानी लखिमा जो शिव सिंह की पत्नी थीं नेपाल नरेश की शरण में चले गए। उसी दौरान मदद के लिए भगवान शिव स्वयं उगना ग्रामीण का वेश धारण कर उनकी सेवा करने लगे। इसी तरह सत्यम शिवम सुंदरम का संदेश देकर समाप्त हो जाता है।
डॉ. उषा किरण खान आलेखित और संगीत, परिकल्पना एवं निर्देशन संजय उपाध्याय निर्देशित नाटक में रजनीश रंजन, सुमन कुमार, शारदा सिंह, अविजित चक्रवर्ती, अभिषेक शर्मा, समीर कुमार, स्वरम् उपाध्याय और कुमार उदय सिंह मंच पर रहे।
वहीं, संगीत में तबला और ढोलक पर राजेश रंजन, नाल संतोष कुमार सिंह, हारमोनियम पर मोहम्मद जॉनी, बांसुरी पर सुजीत गुप्ता, सारंगी पर अनिल मिश्रा और कोरस में रूबी खातून, विनीता सिंह, राजेश कुमार, मोहम्मद आसिफ, संतोष मेहरा, उत्तम कुमार, अभिषेक आनंद का रहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डीआईजी आशुतोष कुमार ने डायरेक्टर संजय उपाध्याय को सम्मानित किया। इस मौके पर डॉ. ब्रजेश्वर सिंह, डॉ. गरिमा सिंह, शिखा सिंह आदि तमाम लोग मौजूद रहे।