लखनऊ। अपनी-अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते कभी अलग-अलग राहों पर चल पड़ी चाचा-भतीजे की जोड़ी अब फिर एक साथ आती लग रही है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आना भी इसकी एक बड़ी वजह है क्योंकि इस आपसी अलगाव का नतीजा दोनों पिछले साल के लोकसभा चुनाव में भुगत चुके हैं। यहां बात प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व इटावा के जसवंतनगर के समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल सिंह यादव और उनके भतीजे समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की हो रही है। दरअसल, शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को एक पत्र लिखा है जिससे संकेत मिल रहे हैं कि अब सपा में उनकी वापसी तय हो गई है।
अखिलेश यादव को भी अपनी जमीन बचाए रखने और उसे बढ़ाने के लिए एक जमीन से जुड़े बड़े नेता की जरूरत है। आजम खां के जेल जाने के बाद सपा में ऐसा कोई नेता बचा भी नहीं है क्योंकि पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव लंबे समय से अस्वस्थ हैं। ऐसे में अखिलेश ही अपने कंधे पर जैसे-तैसे पार्टी की गाड़ी खींच रहे हैं। तकनीकी रूप से शिवपाल यादव अभी सपा से असंबद्ध विधायक हैं। इसी बीच सपा ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा की सदस्यता रद करने की याचिका वापस ले ली है। इसके जवाब में शिवपाल ने भी पत्र भेजकर अखिलेश यादव का आभार जताया है। 29 मई को लिखा गया यह अब वायरल हो रहा है।
शिवपाल ने इस चिट्ठी में अखिलेश के नेतृत्व की सराहना भी की है। चिट्ठी में शिवपाल ने लिखा है, “निश्चय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं है, बल्कि आपके इस तरह के स्पष्ट, सार्थक व सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परीधि में आपके नेतृत्व में एक नव राजनीतिक विकल्प और नवाक्षर का जन्म होगा।” यही नहीं, शिवपाल ने अखिलेश को उत्तर प्रदेश में श्रेष्ठ विकल्प भी बताया है।
सैफई के होली मिलन में कुछ पिघली थी रिश्तों पर जमी बर्फ
गौरतलब है कि इसी वर्ष होली पर सैफई में आयोजित कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के साथ शिवपाल सिंह यादव भी मंच पर मौजूद थे। यहीं नहीं, होली मिलन के दौरान ही अखिलेश ने शिवपाल के पैर छूकर आर्शीवाद भी लिया था। तभी से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के रिश्तों में कुछ सुधार हुआ है। इसी कार्यक्रम में शिवपाल ने मुलायम और रामगोपाल के भी पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव नेअपनी पार्टी बनाकर लोकसभा चुनाव 2019 में कई सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। शिवपाल स्वयं भी शिकोहाबाद से मैदान में उतरे। दूसरी और सपा ने बसपा के साथ गठबंधन किया था। चुनाव के नतीजे आये तो वही हुआ जिसकी आशंका थी। शिवपाल समेत उनकी पार्टी की सभी उम्मीदवार चारों खाने चित हो गए, साथ ही सपा को भी भारी नुकसान पहुंचाया। शिवपाल ने सपा को सबसे बड़ा झटका फिरोजाबाद में दिया। यहां शिवपाल और उनके भतीजे अक्षय यादव आमने-सामने थे और बाजी मार ली भाजपा उम्मीदार चंद्रसेन जादौन ने।
प्रसपा की वजह से लोकसभा में सपा को भारी नुकसान पहुंचा। इसके बाद सपा ने 4 सितंबर 2019 को शिवपाल की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की याचिका दायर की। इस याचिका का परीक्षण हो ही रहा था कि इस बीच रामगोविंद चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि याचिका प्रस्तुतिकरण के समय कई महत्वपूर्ण अभिलेख एवं साक्ष्य याचिका के साथ संलग्न नहीं किए जा सके थे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि याचिका वापस लेने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि आवश्यक अभिलेख लगाए जा सकें।