Bareillylive : समता योग आश्रम के 66 वें वार्षिक समता सत्संग सम्मेलन के दोनों दिन दूर-दूर से संगत आई, भक्तों का रेला लग रहा, त्रिवटी नाथ मंदिर में बड़ी व्यवस्थित रूप से सत्संग सुना गया। रविवार को हुए सत्संग में मुख्य रूप से दो विचार प्रस्तुत किए गए जिसमें पहला विचार हल्द्वानी के प्रेमी विकास सचदेवा ने दिया तथा दूसरा विचार बरेली से प्रेमी मनोज मिश्रा ने दिया तथा अंत में मुख्य विचार प्रेमी शिवनाथ अग्रवाल जी ने दिया तथा संचालन प्रेमी मनोज मिश्रा ने किया। प्रथम विचार में हल्द्वानी के प्रेमी विकास सचदेवा ने ईश्वर पर विश्वास के विषय पर बहुत मार्मिक विचार रखा प्रेमी जी ने कहा कि ईश्वर पर सभी को विश्वास दृढ़ करने के लिए नियम से सत्संग, सेवा व सिमरन करना चाहिए। ईश्वर पर विश्वास रखते हुए अपने जीवन को व्यतीत करने वाला मनुष्य सुखी रहता है। सत्संग का दूसरा विचार बरेली से प्रेमी मनोज मिश्रा जी ने “प्रभु दर्शन कैसे होंगे” विषय पर विचार दिया प्रेमी जी ने समझाया कि श्री राम और वाल्मीकि संवाद के आधार पर तथा सदगुरुदेव महात्मा मंगत राम जी महाराज के आत्मिक उन्नति के साधन सादगी, सत्य, सेवा, सत्संग और सत सिमरन के आधार पर प्रभु दर्शन हो जाएंगे। आज के सत्संग में अंतिम व मुख्य विचार प्रेमी शिवनाथ अग्रवाल जी ने “मानव जन्म और पुनर्जन्म ” विषय पर विचार दिया उन्होंने समझाया की यह मानव का जन्म बहुत ही होश में रहकर व्यतीत करने का है मनुष्य का जन्म प्रभु की प्राप्ति के लिए मिला है और प्रभु की प्राप्ति किस प्रकार होनी है वह पूर्ण गुरु के मार्गदर्शन के आधार पर करनी ही सर्वोत्तम है अंतिम इच्छा के आधार पर पुनः नया जन्म अर्थात नई देह जीव को प्राप्त हो जाती है यही पुनर्जन्म है इस मनुष्य चोले में आकर हर इच्छा को खत्म करते हुए ईश्वर प्राप्त करना ही इसका परम धर्म है। सत्संग की समाप्ति पर सभी ने छक कर गुरु लंगर ग्रहण किया संचालन करते हुए प्रेमी मनोज मिश्रा जी ने अंत में सभी दूर-दूर से आए प्रभु प्रेमियों का धन्यवाद दिया कि सभी प्रेमियों ने तन मन धन से भरपूर सेवा की और प्रभु सत्संग का आनंद प्राप्त किया।