समाज में विशिष्ट योगदान के लिए उमेश गौतम समेत कई हस्तियों का सम्मान

खानकाहे इरशादिया में उर्स – सूफीवाद से ही दुनिया में अमन संभव : जस्टिस सोढी

बरेली। भौतिकवादी युग में खुद को जानने की फुर्सत किसी के पास नहीं है। हर कोई व्यक्ति दूसरे के बारे में बात करने में लगा है। ऐसे में सूफीवाद आदमी को खुद से जोड़ना सिखाता है। खुद को जानते ही इंसान खुदा से रुबरु हो जाता है। इसके बाद ही आदमी अंदर से शांत हो जाता है। भीतर से शांत इंसान को बाहर की अशांति प्रभावित नहीं कर पाती। यह निष्कर्ष बुधवार को उर्स ए इरशादिया में सूफी मत के विद्वानों के वक्तव्यों में निकला। उर्स का आयोजन शीशगढ़ स्थित खानकाहे इरशादिया में किया गया था। इस मौके पर शिक्षा, पत्रकारिता एवं वकालत के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाली हस्तियों को खानकाही अवार्ड से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएस सोढ़ी रहे। उन्होंने इस्लाम को एक अच्छा धर्म बताते हुए सूफीवाद को शांति का संदेश देने वाला बताया। कहा कि सूफीज्म की राह पर चलकर दुनिया में शांति लायी जा सकती है। उन्होंने इस्लाम और सिख धर्म की तुलना करते हुए कहा कि सिख पंथ के प्रणेताओं ने इस्लाम से बहुत कुछ सीखा है।

उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए इन्वर्टिस विश्वविद्यालय के चांसलर उमेश गौतम, पत्रकारिता और शिक्षा में योगदान के लिए अजमेरा इंस्टीट्यूट आफ मीडिया स्ट्डीज के चेयरमैन विशाल गुप्ता, वकालत के लिए सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता मनीषा भण्डारी और उर्दू में योगदान के लिए डॉ. शुएल खान को खानकाही अवार्ड से सम्मानित किया। इन हस्तियों को जस्टिस सोढ़ी ने शॉल ओढ़ायी और प्रशस्ति पत्र प्रदान किये।
इससे पूर्व खानकाह के सज्जादानसीन सैयद आबाद जाफरी ने खानकाह के इतिहास पर रोशनी डाली। नायब सज्जादा सैयद कासिफ जाफरी ने मेहमानों का स्वागत किया। इस मौके पर खानकाह के इतिहास पर एक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। इसके बाद जस्टिस सोढी, श्री गौतम और श्रीगुप्ता समेत सभी ने खानकाह में स्थित मजार पर चादरपोशी कर दुनिया में अमन की दुआ मांगी।

सैयद आबाद जाफरी ने वर्तमान वैश्विक परिवेश में सूफीवाद के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा-सूफियों की दुआओं में इन्सान को सही राह दिखाने की ताकत है। सूफीज्म के रास्ते पर चलकर ही दुनिया में अमन पैदा किया जा सकता है। मौलवी मोहम्मद ने आत्मा और परमात्मा के सम्बंध पर सूफी पंथ के नजरिये से रोशनी डाली। इसके अलावा अन्य कई विद्वानों ने सूफीवाद पर पर्चे पढ़े।

इस अवसर पर सभी मेहमानों की दस्तारबंदी भी की गयी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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