बरेली। किसी ने लिखा है-ऐ श्मशान भूमि क्यों तेरा सन्नाटा नहीं जाता, हम जान दे-देकर तुझे आबाद करते हैं। लेकिन आज 9 जून को बरेली की श्मशान भूमि चीत्कार कर उठी। वहां का सन्नाटा छाती कूटकर दहाड़ें मार रहा था। वहां की फिजाओं में चीखें गूंज रही थीं। ये चीखें थीं बरेली बस हादसे में जिन्दा जल गये 24 लोगों के परिजन की। आज उन हुतात्माओं के शरीरों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया।
बता दें कि 3 जून की रात दिल्ली से गोंडा जा रही रोडवेज बस को बिथरी बड़ा बाईपास पर ट्रक ने टक्कर मार दी थी। बस में लगी आग में 24 लोग जिन्दा जल गये थे। आज अंतिम संस्कार के वक्त डीएम, एसएसपी के साथ ही पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे।
बुरी तरह जले शवों की शिनाख्त नहीं हो सकी थी। इसलिए उनका डीएनए सैंपल लेने के बाद जांच के लिए भेजने उपरान्त शुक्रवार को शवों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया। सभी शव सुबह 9 बजे पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की देखरेख में सिटी शमशान भूमि लाए गए। इन शवों में 3 बच्चों के भी
थे। उनको शमशान भूमि में दफनाया गया। सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं की मदद से पुलिस ने 21 चिताएं बनाईं। इसके बाद करीब साढ़े दस बजे शवों को एक साथ मुखाग्नि दी गई।
डीएम पिंकी जोवेल ने बताया कि शवों और परिजनों के डीएनए सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजे गये हैं। डीएनए की रिपोर्ट आने में तीन से चार सप्ताह का समय लगेगा। उसके बाद ही मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। परिजनों को शवों की शिनाख्त नहीं हो सकी थी। ऐसे में कौन सा शव उनके अपने का है, ये पहचान पाना असंभव था। जब भी एम्बुलेंस से कोई शव निकाला जाता, वहां मौजूद परिजन रोने-बिलखने लगते। उनके करुण क्रन्दन से श्मशान की फिजां भी चीत्कार कर उठी और वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गयीं और गला भर आया। ईश्वर सभी हुतात्माओं को शांति प्रदान करें। ॐ