बरेली। इंडियन एसोसिएशन फाॅर द एडवांसमेंट आॅफ वेटरिनरी रिसर्च के तत्वावधान में 17वें भारतीय पशुचिकित्सा कांग्रेस का आयोजन यहां आईवीआरआई में शनिवार को किया गया। दो दिनों तक चलने वाले इस कांग्रेस का विषय “नई टीकाकरण तकनीक, (आनुवंशिक तकनीकों) द्वारा पशुओं के स्वास्थ्य एवं उत्पादन में वृद्धि समाज के विकास हेतु“ है। इसमें जानकारी दी गयी कि भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में पहले नम्बर पर है।
पशुचिकित्साविदांे को सम्बोधित करते हुए कांग्रेस का शुभारम्भ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि पशुचिकित्सा व्यवसाय से जुड़े लोगांे के योगदान से भारत विश्व में दूध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। कहा कि मानव में साठ प्रतिशत रोग जनस्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है जो पशुओं से मनुष्यों में फैलते है। उन्होंने एक स्वास्थ्य कार्यक्रम पर कहा कि सिर्फ मानव और पशु ही नहीं बल्कि मिट्टी, पानी और वायु भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र विशेष खनिज पूरक से पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी के साथ कई पशु रोगों का उन्मूलन किया जा सकता है।
महानिदेशक ने कहा कि अंडा, दूध और मछली में क्रान्तिकारी बढ़ोत्तरी के बाद अब विभिन्न पशुरोगों पर नियन्त्रण के लिए कई रोगों हेतु एक टीका के निर्माण पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे स्थानीय प्रजाति के पशुओं के विकास पर शोध कार्य करें ताकि विस्तार कार्यक्रमों द्वारा समुचित विकास हो सके।
इससे पूर्व अधिवेशन को आंध्र प्रदेश के पशुपालन के विशेष मुख्य सचिव डा. मनमोहन सिंह ने विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में आंघ्र प्रदेश के पशु खुरपका एवं मुहपका रोग से प्रभावित नहीं हुए है इसका श्रेय आई.वी.आर.आई. को इस रोग का टीके के विकास को जाता है। इसके बावजूद पशुपालन एवं पशुचिकित्सा के क्षेत्र में अभी भी बहुत सारी चुनौतियां हैं जिससे निपटने के लिए वैज्ञानिकों को पशुपालकों के साथ मिलकर कार्य करना होगा।
अपने अध्यक्षीय भाषण में आई.वी.आर.आई. के निदेशक डा. राजकुमार सिंह ने संस्थान की उपलब्धियों के बारे में बताया। अधिवेशन के संगठन सचिव एवं आईएएवीआर के संस्थापक सचिव डा. ऋषेन्द्र्र वर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह पशुचिकित्सा के क्षेत्र में पहली सस्था है जिसे विश्व पशुचिकित्सा संघ तथा काॅमनवेल्थ पशुचिकित्सा संघ से मान्यता मिली हैं तथा यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में सूचीबद्ध है।
आईएएवीआर के अध्यक्ष डा. एस.एन. सिंह ने पशुचिकित्साविदों को सम्बोधित करते हुए सवाल उठाया कि अब तक भारत में सभी पशुरोगों के लिए एक टीके का विकास क्यों नहीं हो सका? उन्होंने कहा कि भारत में पशुचिकित्सा के लिए स्विटजरलैंड की तरह सुविधाएं विकसित किया जाना चािहए।
समारोह में शेरे कश्मीर कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय-जम्मू के पूर्व कुलपति डा. नागेन्द्र शर्मा, गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, पन्तनगर के पूर्व कुलपति डा. अमरेश कुमार, सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, मेरठ के पूर्व कुलपति डा. एम.पी.यादव, राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, झरनापानी के निदेशक डा. अभिजीत मित्रा, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार के स्थापना निदेशक डा. पी.के. उप्पल, सहित पशुचिकित्सा क्षेत्र के कुल 20 विभूतियों को उनके इस क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
इससे पूर्व समारोह का शुभारम्भ केन्द्रीय विद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथियों के प्रति स्वागत भाषण संस्थान के संयुक्त निदेशक, शोध डा. बी.पी. मिश्रा ने किया। संचालन संस्थान निदेशक के वैज्ञानिक सचिव डा. एस.वी.एस. मलिक तथा आईएएवीआर के उपाध्यक्ष डा. आर.के. बघेरवाल उपस्थ्ति रहै।