सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कूड़े का निस्तारण किसी भी सूरत में जलाकर यानि कूड़े के ढेर में आग लगाकर नहीं किया जाना चाहिए। इसी आदेश के अनुपालन में बरेली में 12 साल पहले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेण्ट प्लाण्ट को स्थापित किया जाना था। प्रक्रिया शुरू हुई तो मेयर यही डा. आई.एस. तोमर थे, जो निवर्तमान मेयर हैं और समाजवादी पार्टी से तीसरी बार प्रत्याशी हैं। पेशे से डॉक्टर हैं और स्वास्थ्य के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा ये बखूबी जानते हैं। दूसरे व्यक्ति हैं भारतीय जनता पार्टी के उमेश गौतम, जिन्होंने अपनी पूरी ताकत (तन-मन-धन) इस प्लाण्ट को चालू न होने देने में लगा दी। इसके लिए जो भी हथकण्डे हो सकते थे, अपनाये।
ये दोनों ही राजनीति विसात पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेण्ट प्लाण्ट की चौसर बिछाकर अपनी चालें चलते रहे और बेचारी जनता चीरहरण के अपमान की तरह प्रदूषण के जहर का घूंट पीती रही। लोग इन दोनों की करनी का फल आज भी भोग रहे हैं।
शहर भर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। बाकरगंज डम्पिंग ग्राउण्ड अपनी क्षमता से कई गुना कूड़ा अपनी छाती पर संभाले हुए है। इसके आसपास करीब 10 से 15 हजार लोगों की आबादी है। ये लोग सड़ांध भरा नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। बीमारियां इन्हें नगर निगम की ओर से सौगात में दी गयी हैं।
बरेली शहर में रोजाना करीब 450 टन ठोस कचरा और गंदगी निकलती है। फिलवक्त नगर निगम के पास इस कूड़े के पहाड़ से निपटने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कूड़े के ट्रीटमेंट के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट सालों से बनकर तैयार पड़ा है। लेकिन चालू नहीं किया जा सका है।
नगरीय ठोस अवशिष्ट प्रबंधन नियम-2000 के तहत शहर में निकलने वाले ठोस कूड़े और कचरे को बगैर ट्रीटमेंट के यहां-वहां खुले में फेंकना मना है। अधिनियम और डॉक्टर कहता है कि इससे परिवेश और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जन स्वास्थ्य और पेड़-पौधों को भी क्षति होती है।
इस कूड़े से परेशान शहरवासियों की सांसों में और तीव्र जहर तब घुल रहा है जब कूड़ा फेंकने वाले रिक्शे वाले इन कूड़े के ढेरों में आग लगा देते हैं। हालांकि ये आग ये मजबूरी में लगाते हैं।
बरेली लाइव टीम ने आज डम्पिंग ग्राउण्ड को छोड़ शहर के अन्य इलाकों का दौरा किया तो जगह-जगह कूड़े के ढेर जलते हुए दिखायी दिये। ये इलाके शहर की पॉश महानगर कालोनी, एयरफोर्स बैरियर के निकट, डेलापीर मण्डी के पास के साथ कई अन्य क्षेत्रों में कूड़े का निस्तारण जलाकर किया जाता दिखा।
कचरा जलने से निकलने वाला धुआं किसी भी वाहन से निकलने वाले धुएं से सौ गुना ज्यादा खतरनाक होता है। गंभीर बात यह है कि सॉलिड वेस्ट यानि ठोस कचरे के खुले में जलने से जो जहरीली गैसें और तत्व हवा में घुल रहे हैं वे अच्छे-भले स्वस्थ व्यक्ति को कैन्सर का मरीज बनाने के लिए काफी है। ऐसे बड़ा सवाल ये कि शहर के लोगों और पर्यावरण को बीमार करने का जिम्मेदार कौन?
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