आप कहते हैं कि राजनीति को साफ करने आये हैं, कैसे करेंगे?
सचिन जी, मैं तो केवल कैटेलिस्ट यानि उत्प्रेरक का काम करुंगा। असल काम तो लोगों को करना है। अगर उन्हें पिछड़ेपन से, गरीबी से, गंदगी से मुक्ति पानी है तो सफाई का संकल्प जनता को लेना होगा। हां, इस सफाई और धुलाई के लिए जितना भी पानी चाहिए, रालोद का ‘हैण्डपम्प‘ देगा, बस लोगों को संकल्प लेकर सफाई के लिए अपने मताधिकार से सोच-समझकर प्रयोग करना होगा।
आप एक इलैक्ट्राॅनिक इंजीनियर हैं, अपना बड़ा कारोबार है तो फिर राजनीति में क्यों उतरे?
सचिन जी, मैंने पहले ही कहा कि राजनीति को कुछ स्वार्थी लोगों ने दूषित किया है। उन्हें हटा दिया जाये तो राजनीति बेहद स्वच्छ और राष्ट्रसेवा का माध्यम है। जहां तक बात मेरे इंजीनियर और कारोबारी होने की है तो पैसे का भूखा सेवा कैसे करेगा। शिक्षित और वैचारिक एवं आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग ही निस्वार्थ राजनीति कर सकते हैं। आर्थिक एवं वैचारिक रूप से कंगाल व्यक्ति न तो राजनीति ही करता है और न ही सेवा। वह केवल अपने स्वार्थ के लिए ही राजनीति में आता है। खुद के लिए ही कमाता है और जनता को मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो पातीं।
आप पहले बसपा के प्रत्याशी थे, अब राष्ट्रीय लोकदल, ऐसा क्यों?
भाई, मैं बसपा में लम्बे समय रहा। जिला सचिव, जिला उपाध्यक्ष समेत कई पदों पर रहा। पार्टी ने मुझे करीब साल भर पहले ही उम्मीदवार बना दिया था। लेकिन मेरी ईमानदारी पर कुछ लोगों की ‘राजनीति‘ भारी पड़ गयी। हालांकि यह बहुत अच्छा हुआ कि मुझे रालोद का टिकट मिला। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चैधरी से मिलकर लगा कि अच्छी पार्टी और अच्छे लोगों का मतलब क्या होता है।
जयंत जी मिलकर लगा कि हमारा साथ नया नहीं सालों का है। उनके व्यवहार में बेहद अपनापन है। मुझे लगा ही नहीं वह पार्टी के बड़े नेता और मैं उनका प्रत्याशी हूं। यह वजह है कि पूरे प्रदेश की जनता उनसे दिल से जुड़ी है। वास्तव में रालोद ही एकमात्र ऐसा दल है जहां सभी जाति, धर्मों और समुदायों को समान आदर दिया जाता है। जबकि बसपा में ऐसा नहीं था। रालोद न तो तुष्टीकरण की राजनीति करता है और न तोड़फोड़ की।
ईमानदारी और सेवाभाव की प्रेरणा किससे मिली?
मेरे पिताजी से। मेरे पिता श्री सुशील कुमार सक्सेना जी, रेलवे में सीनियर डिवीजनल इलेक्ट्रीकल इंजीनियर थे। यह एक बड़ा पद होता है, इसके बावजूद न तो उनमें घमण्ड था और न ही उन्होंने कभी ईमानदारी छोड़ी। बचपन में हम देखते थे कि पापा के अन्य साथी, उनके जूनियर अपने परिवार के साथ कारों में घूमते थे और हमारे पिताजी अपने स्कूटर पर ही हमें लेकर जाते थे।
लेकिन समाज में जो उनका सम्मान था। सैकड़ों लोग उन्हें न केवल प्रणाम करते थे बल्कि उनके पैर छूते नहीं अघाते थे। तब समझ में आया कि असली धन-सम्पदा कार या अन्य उपकरण नहीं यह सम्मान है।
हम दो भाई और दो बहनें हैं। सभी की पढ़ाई पापा ने अच्छे से करायी। मैं पुणे से इलेक्ट्राॅनिक इंजीनियरिंग करने के बाद एमबीए करने गाजियाबाद आ गया। फिर वहीं एक छोटी सी फैक्ट्री स्थापित कर ली, जो इलेक्ट्रिक इक्यूपमेण्ट बनाती है। वक्त के साथ कारोबार बढ़ता गया और आज ईश्वर की कृपा से कार समेत घर में किसी भी उपकरण की कमी नहीं है। बस, ईश्वर से प्रार्थना है कि एक बार जनता की सेवा का मौका और देदे।
चुनाव ईश्वर के भरोसे लड़ रहे हैं या खुद के?
सचिन जी, मैं एक आस्तिक व्यक्ति हूं। मेरा मानना है कि हर आत्मा, परमपिता परमात्मा का ही अंश है। ऐसे में हर व्यक्ति ईश्वर का अंश ही है। और अंश ही अपने में सम्पूर्ण होता है। आपको एक बात बताता हंू-जब बसपा से मेरा टिकट कटा, तो सैकड़ों लोगों ने आकर और फोन से कहा कि भाई आपका टिकट कटा है लेकिन यह बात हमारा आपका सम्बंध नहीं काट सकती। आप किसी भी पार्टी से लड़ो या निर्दलीय लेकिन चुनाव जरूर लड़ना क्योंकि हम आपके साथ ही हैं। हमें अबकी बार एक ईमानदार विधायक चाहिए जो क्षेत्र का विकास कराये और हमारे सुख-दुःख में साथ खड़ा हो।
कैण्ट क्षेत्र के विकास को लेकर क्या एजेण्डा है?
लोग परेशान हैं, क्षेत्र में विकास की बात तो छोड़िये भाई, मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। पहला काम यही करना है कि लोगों को सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और सीवर की सुविधाएं मिलें। इसके बाद विकास की बात की जानी चाहिए। इसके बाद क्षेत्र में उच्च शिक्षा, बालिकाओं के लिए डिग्री काॅलेज स्थापना कराना और युवाओं के लिए कई रोजगार परक कार्य स्थापित कराने का लक्ष्य है।
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