बरेली। सुप्रसिद्ध साइबर विशेषज्ञ अनुज अग्रवाल ने कहा कि मुख्यतः आर्थिक एवं सामाजिक साइबर क्राइम अधिक होते हैं। हम सभी को एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते समय पिन हमेशा छिपा के डालना चाहिए। हमेश सुरक्षित वेबसाइट ही इस्तेमाल करनी चाहिए। साइबर क्राइम से बचने का सबसे कारगर उपाय ऐसी ही जागरूकता है।
अनुज अग्रवाल (सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ, नई दिल्ली) यहां पुलिस लाइन सभागार में साइबर क्राइम पर एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यशाला को मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विष्णुदेव, पुलिस अधीक्षक अपराध सुशील कुमार, उपनिदेशक महिला कल्याण एवं जिला प्रोबेशन अधिकारी नीता अहिरवार, जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ अमरकांत, सदस्य बाल कल्याण समिति डॉ डीएन शर्मा, प्रदेश संयुक्त सचिव अपराध मुक्त भारत अभियान अमित कुमार सिंह तोमर एडवोकेट, सौरभ सिंह चौहान, संरक्षण अधिकारी संध्या जायसवाल, विधि सह परिवीक्षा अधिकारी जिला बाल संरक्षण इकाई बरेली संतोष कुमार गौतम और स्वैच्छिक संगठन के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
पुलिस अधीक्षक अपराध सुशाल कुमार ने बताया कि साइबर अपराधों में आर्थिक साइबर क्राइम के प्रकरण जनपद में अधिक आते हैं। इनमें से 18 प्रतिशत आर्थिक साइबर क्राइम प्रकरणों का ही निस्तारण हुआ है। इसका मुख्य कारण यह है कि जिस व्यक्ति के साथ आर्थिक साइबर क्राइम होता है, वह प्रकरण को विलंब से पुलिस के समक्ष प्रस्तुत करता है। इस कारण धनराशि वापस दिलाने में कठिनाई होती है। इसलिए आर्थिक साइबर क्राइम की घटना घटित होते ही तत्काल पुलिस को अवगत कराना चाहिए।
मुख्य वक्ता अनुज अग्रवाल ने बताया कि मुख्यतः आर्थिक एवं सामाजिक साइबर क्राइम अधिक होते हैं। इससे बचने के लिए समय-समय पर अपने पिन को बदलते रहना चाहिए। साथ ही किसी अन्जान व्यक्ति को डेबिट या क्रेडिट कार्ड नहीं देना चाहिए। ऐसा करने पर वह व्यक्ति कार्ड का क्लोन बनाकर आर्थिक साइबर क्राइम को अंजाम दे सकता है। हमेशा सुरक्षित वेबसाइट ही इस्तेमाल करनी चाहिए। उदहारण के तौर पर वेबसाइट के बाद उस कंपनी का नाम होना आवश्यक है। गूगल पर सर्फिंग करते समय पहली बार हमेशा गलत पासवर्ड डालना चाहिए। सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इन्टाग्राम आदि पर किसी अंजान व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करनी चाहिए। सोशल मीडिया वेबसाइट पर हैकरों द्वारा फोटो ट्रोल की जाती हैं जिससे बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं और डिप्रेशन में आ जाते हैं। बच्चों को समय-समय पर शिक्षक-अभिभावकों द्वारा साइबर क्राइम के संबंघ में जागरूक करने के साथ ही उचित परामर्श देते रहना चाहिए।
अनुज अग्रवाल ने बताया कि साइबर अपराध में रिवेन्ज पोर्न प्रकरण भी सामने आते हैं। ऐसे ममलों में लड़के-लड़कियां प्रेम प्रसंग के नाम पर एक-दूसरे की अश्लील तस्वीरें मांग कर उनको ब्लैकमेल करते हैं। ऐसा होने पर झिझकना नहीं चाहिए और मामले की सूचना तत्काल पुलिस को देनी चाहिए। चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक गैर जमानती अपराध है जिसमें पॉक्सो और आईटी अधिनियम की धारा 6 के तहत दंड का प्रवधान है। एटीएम, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड तथा बैंक खाते से रुपये चोरी होने पर पीड़ित को आरबीआई गाइडलाइन के अनुसार तीन दिन के अंदर उसकी शिकायत नजदीकी थाने में करनी चाहिए।
कार्यशाला में मौजूद प्रतिभागियों ने छात्र छात्राओं को साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता करने के लिए विद्यालयों में ऐसे कार्यक्रम आय़ोजित करने का अनुरोध किया। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि महिला कल्याण विभाग बाल विवाह और संरक्षण के मुद्दों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। विद्यालयों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
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