Bareillylive : ‘ज़िदगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी, मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी’ कुछ वर्षों पूर्व लीजेंड किशोर कुमार द्वारा गाई गईं यह पंक्तियां उस समय चरितार्थ हो गईं जब स्वयं यमदूत अपनी महबूबा के साथ यमलोक चले गए। अभी 28 तारीख को बदायूं कारागार और बिसौली के सफल कवि सम्मेलनों के पश्चात दिनांक 29 जनवरी को हास्य कविता के सशक्त हस्ताक्षर हरीश शर्मा ‘यमदूत’ मुंबई के लिए रवाना हुए थे। उस समय क्या जानता था कि यह उनसे आखिरी भेंट होगी। एक हंसमुख, अजातशत्रु, सबसे प्रेम करने वाले, सबको साथ लेकर चलने और सबको प्रोत्साहित करने वाले बरेली के मूल निवासी राष्ट्रीय हास्य कवि हरीश शर्मा ‘यमदूत’ का कल मुंबई में अपने अस्थाई निवास स्थान से यमलोक गमन हो गया। मूल रूप से जेल के कर्मचारी रहे हरीश शर्मा यमदूत ने उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में अनेेक जेलों में सेवा की और वहीं से सेवानिवृत्त हुए।जेलों में कवि सम्मेलनों की परिपाटी उन्हीं की देन है। विभिन्न जेलों में वे अपने विभिन्न कवि साथियों को कवि सम्मेलन हेतु लेकर जाते थे। मुझे उनके साथ फतेहगढ़, बुलंदशहर, नोएडा आदि जेलों में काव्य पाठ हेतु जाने का सौभाग्य मिला। मार्च में कई अन्य जेलों के कवि सम्मेलनों में उनके साथ जाने की योजना बन रही थी, जो अब कभी कार्यान्वित नहीं हो सकेगी। अब जेल का प्रत्येक कवि सम्मेलन उनके बिना और उनके हास्य के बिना सूना रहेगा। हास्य कवि हरीश शर्मा ‘यमदूत’ को विनम्र श्रद्धांजलि। 🙏 (कवि ऋषि कुमार शर्मा ‘च्यवन’ बरेली)
कविता के आकाश के ध्रुव तारा थे यमदूत जी : रोहित राकेश
बरेली कविता जगत के अनमोल सितारे एवं बेहतरीन मंच संचालक रोहित राकेश बताते हैं कि यमदूत जी का जन्म बरेली में हुआ था। उनके दो भाई ग्रीश शर्मा व संजय शर्मा बरेली में ही रहते हैं इस कारण उनका बरेली आना-जाना लगा रहता था। 21 जनवरी बरेली रोहित राकेश के, 25 जनवरी के संजय कम्यूनिटी हाल बरेली के व 26 जनवरी बदायूं तथा 28 जनवरी रायबरेली कवि कमलकांत तिवारी के कार्यक्रम के लिए वह बरेली आए थे।
29 जनवरी को मुंबई लौटते समय उनकी हालत अनायास बिगड़ने लगी। 1 फरवरी को वह मुंबई अपने घर पहुंच गए और वहीं हालत खराब होने के कारण उनका निधन हो गया। हरीश शर्मा यमदूत विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए थे। इमरजेंसी काल में पत्रकार वीरेंद्र अटल व संतोष गंगवार के साथ वह जेल भी गए। बाद में उनकी हल्द्वानी जेल में सिपाही के रूप में नौकरी लग गई। डिप्टी जेलर के पद से यमदूत जी सेवानिवृत होने के बाद अपने बेटे के पास मुंबई रहने चले गए। उनकी एक बेटी का विवाह नोएडा में हुआ है। हरीश शर्मा यमदूत के तीन भाई हैं। जिनके नाम अशोक शर्मा, गिरीश शर्मा और संजय शर्मा है उनकी एक बहन का नाम लक्ष्मी शर्मा है। हरीश शर्मा अपने सारे भाइयों में सबसे बड़े हैं। हरीश शर्मा यमदूत की हास्य व्यंग्य की एक पुस्तक “यमदूत के पुच्चले”आ चुकी है। रोहित राकेश ने बताया कि यमदूत जी की वीडियो यूट्यूब पर बहुत वायरल होती हैं यमदूत जी हंसमुख व्यक्ति थे। हरिओम पवार, उमिलेश शंखधार, कुंवर बैचेन से लेकर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में भी उनके अच्छे संबंध रहे । यमदूत जी की विशेषता यह थी वह पूरे देश भर की जेल में कवि सम्मेलन करवाते थे। देश में उनके जाने से शोक की लहर दौड़ गई है। राष्ट्रीय कवि संगम, संस्कार भारती, कवि गोष्ठी आयोजन समिति व साहित्य परिषद संस्था ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
साथ ही प्रख्यात कवि रोहित राकेश, लोटा मुरादाबादी, कमलकांत तिवारी उन्नति शर्मा, उपेंद्र सक्सेना, राजीव गोस्वामी, आर सी पाण्डे, नीलिमा रावत, सुरेश बाबू मिश्रा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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