नई दिल्ली। दक्षिण भारतीय भाषाओं की फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड 2020 से नवाजा जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को इसका ऐलान किया। इसे तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखे जाने के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि रजनीकांत को फिल्म इंडस्ट्री के योगदान के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल, तमिलनाडु में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। गौरतलब है कि रजनीकांत ने कई हिट हिंदी फिल्मों में भी काम किया है।
दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की घोषणा करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि इस बार 51वां दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे बेहतरीन अभिनेता रजनीकांत को दिया जाएगा। एक अभिनेता, निर्माता और स्क्रीनराइटर के तौर पर उनका योगदान आइकॉनिक है।”
5 सदस्यीय ज्यूरी हुई एकमत
प्रकाश जावड़ेकर ने अपने ट्विटर हैंडल पर भी इस बात की खुशी ज़ाहिर की और बताया कि रजनीकांत के नाम पर पांचों ज्यूरी मैंबर्स का एकमत ही फैसला था। ये पांचों ज्यूरी मैंबर्स थे- आशा भोंसले, मोहनलाल, विश्वजीत चटर्जी, शंकर महादेवन और सुभाष घई।
अधूरा रह गया राजनीति में आने का फैसला
रजनीकांत का राजनीति में आने का सपना अधूरा ही रह गया। 70 साल के रजनी ने खराब सेहत की वजह से चुनावी राजनीति में नहीं आने का फैसला किया है। बीते साल 3 दिसंबर को रजनीकांत ने कहा था कि वे नई पार्टी बनाएंगे और 2021 का विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे। 31 दिसंबर को नई पार्टी का ऐलान किया जाएगा लेकिन ऐसा हो ना सका और 26 दिन के अंदर ही उन्होंने राजनीति छोड़ दी।
12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु के एक मराठी परिवार में जन्मे रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। जीजाबाई और रामोजी राव की चार संतानों में शिवाजी सबसे छोटे थे। उनकी स्कूलिंग बेंगलुरु में हुई। रजनीकांत चार साल के थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया था। घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। इसलिए रजनीकांत ने कुली से लेकर बस कंडक्टर तक का काम किया। बस में टिकट काटने के अनोखे अंदाज की वजह से ही वे पॉपुलर हुए और दोस्तों ने उन्हें फिल्मों में एक्टिंग करने की सलाह दी।