उप्र से पार्टी के उम्मीदवार तय करने के लिए केंद्रीय संसदीय बोर्ड की शनिवार को दिल्ली में बैठक हो सकती है। इस बैठक में पहले और दूसरे चरणों के प्रत्याशियों के बारे में विचार होने की उम्मीद है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश से भाजपा के 68 सांसदों में से एक चौथाई पर टिकट कटने की तलवार लटक रही है। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने कई मौजूदा सांसदों के टिकट काटने की संस्तुति केंद्रीय नेतृत्व से की है। कुछ सांसदों की सीटें बदली भी जा सकती हैं। नई व्यवस्था के अनुसार ज्यादातर सीटों पर मौजूदा सांसदों के अलावा अन्य दो दावेदारों का पैनल बनाकर केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया है। बरेली लोकसभा सीट पर सात बार विजय पताका फहरा चुके संतोष गंगवार का टिकट लगभग तय है जबकि आंवला को लेकर संशय बना हुआ है।  

भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर शुक्रवार को हुई कोर कमेटी की बैठक में करीब डेढ़ दर्जन सांसदों को दोबारा टिकट न देने पर सहमति बनी। बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश के मुख्य चुनाव प्रभारी जेपी.नड्डा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा, भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल व सभी सह प्रभारी मौजूद थे। 

इस बैठक में तय किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (वाराणसी) और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह (लखनऊ) सरीखे बड़े नेताओं का नाम दावेदारों के पैनल में भेजने का कोई औचित्य नहीं है। डॉ. मुरली मनोहर जोशी के कानपुर और उमा भारती के झांसी से चुनाव लड़ने का फैसला इन दोनों नेताओं की इच्छा पर छोड़ दिया गया है। कई सीटों पर जातीय समीकरण बदलने की वजह से भी मौजूदा सांसदों का टिकट कट सकता है। जिन सांसदों के टिकट काटने की संस्तुति की गई है, उनके बारे में इसी साल जनवरी में क्षेत्रीय स्तर पर चली फीड बैठकों तथा क्षेत्रीय और जिला संगठनों से रिपोर्ट ले ली गई थी।

कसौटी पर बुरी तरह फेल रहे कई सांसद

सूत्रों के अनुसार एक चौथाई मौजूदा सांसद कोर कमेटी की कसौटी पर बुरी तरह फेल रहे। ये सांसद अपने क्षेत्र में न केवल निष्क्रिय रहे बल्कि अपने संसदीय क्षेत्र  विधायकों के साथ तालमेल भी नहीं बैठा पाए। पार्टी के कार्यक्रमों में भी इनका  रवैया असहयोगात्मक रहा। ऐसी नकारात्मक रिपोर्ट वाले सांसदों की संख्य़ा 16 से 18 के बीच बताई जा रही है, हालांकि जैसा कि स्वाभाविक है, भाजपा का कोई भी बड़ा नेता इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।  

पता चला है कि कोर कमी की बैठक में टिकट के दावेदारों की जांच-परख के साथ ही चुनाव अभियान की रणनीति पर भी चर्चा हुई। मंत्रियों और चुनाव अभियान समिति के पदाधिकारियों के और ज्यादा सक्रिय होने पर बल दिया गया।

टिकट बंटवारे में पिछड़ा वर्ग को प्राथमिकता

पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने शुक्रवार को पिछड़ा, अनुसूचित जाति व महिला मोर्चा के अध्यक्षों के साथ अपने-अपने वर्गों की टिकट दावेदारी पर भी चर्चा की। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 17 सुरक्षित सीट हैं। तय किया गया कि बाकी बची सीटों पर टिकट बंटवारे में पिछड़ा वर्ग को प्राथमिकता दी जाए। बैठक में सभी छह क्षेत्रों के प्रभारी मौजूद थे।

कोर ग्रुप की बैठक में दो चरणों की 16 सीटों की चुनावी तैयारियों का भी जायजा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 28 मार्च से पहले चरण में प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र की सीटों पर रैलियां संभावित हैं। बैठक में इन रैलियों के बारे में भी चर्चा हुई। 

सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश से पार्टी के उम्मीदवार तय करने के लिए केंद्रीय संसदीय बोर्ड की शनिवार को दिल्ली में बैठक हो सकती है। इस बैठक में पहले और दूसरे चरणों के प्रत्याशियों की 16 सीटों पर प्रत्याशियों के बारे में विचार होने की उम्मीद है।

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