नई दिल्ली। लोग जिसे कॉलसेंटर समझते थे वह ठगी का अड्डा निकला। एक अवकाश प्राप्त बैंक मैनेजर की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर जाल बिछाया तो गोरखधंधे की परतें उधड़ती चली गईं। रोहिणी इलाके में इस फर्जी कॉलसेंटर को चलाने वाले गिरोह के 12 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक इस गिरोह ने पिछले दो साल में देशभर में 250 से भी ज्यादा लोगों से 13 करोड़ रुपये से भी अधिक की की ठगी की है। गिरोह के बाकी करीब एक दर्जन लोगों की तलाश में पुलिस की कई टीमें लगाई गई हैं।

पंजाब नेशनल बैंक के एक पूर्व मैनेजर ने दिल्ली पुलिस से शिकायत की थी कि इन्वेस्टमेंट प्लान और इंश्योरेंस के फायदों का झांसा देकर उनके साथ 20 लाख रुपये की ठगी की गई है। उन्होंने दर्ज शिकायत में बताया कि इंश्योरेंस रिन्यूअल कराने के नाम पर और फिर रिनुअल और मैच्यूरिटी के बाद दोगुने रुपये दिलाने के नाम पर ठगी की गई।

दिल्ली पुलिस ने जांच उस बैंक एकाउंट से शुरू की जिसमें अवकाशप्राप्त बैंक मैनेजर ने रुपये डाले थे। जांच आगे बढ़ने पर पता चला कि यह गिरोह न सिर्फ दिल्ली के लोगों को ठग रहा है बल्कि कॉलसेंटर की जगह बार-बार बदलकर देशभर में कई लोगों को ठग चुका है। यह गिरोह नोएडा और गुरुग्राम में भी कॉलसेंटर चला चुका है।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से दो लोगो कॉलसेंटर के मालिक हैं जो बीमा कंपनी में काम कर चुके हैं। बाकी लोगों में फोन करके लोगों से लुभावने वादे करने और वे लोग हैं जिनकी मदद से वे बैंक एकाउंट खोले गए थे जिसमें यह गिरोह रुपये जमा करवाता था।

पुलिस ने बताया कि किसी को शक न हो इसके लिए ये कभी दिल्ली से तो कभी नोएडा तो कभी गुरुग्राम में कॉलसेंटर चलाया करते थे। इस गिरोह ने देश के अलग-अलग राज्यो में रहने वाले करीब 250 लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया और उनसे 13 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम वसूल ली। इनसे पूछताछ में इनके चार राज्यों के 6 शहरों में 14 बैंक एकाउंट का पता चला है। पुलिस अब यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इन लोगों सिम कार्ड कौन मुहैया कराता था।

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