लखनऊ। उत्तर प्रदेश सहकारिया विभाग भर्ती घोटाले में मंगलवार को तीन और बड़े अधिकारी नप गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के उप महाप्रबंधक दिलीप कुमार प्रसाद, उप महाप्रबंधक शैलेश यादव और सहायक महाप्रबंधक सिद्धार्थ श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया गया। इस भर्ती घोटाले को लेकर बीते गुरुवार को लखनऊ में मुकदमा दर्ज कराया गया था। प्रदेश में सहकारिता की जड़ें हिला देने वाला यह भर्ती घोटाला अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दोषी अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मिलने के बाद विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने यह कार्रवाई की है। एसआइटी ने बीते दिनों अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी।
एसआइटी की जांच में उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव और रविकांत सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश कुमार मिश्र व सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के साथ ही संबंधित भर्ती कराने वाली कंप्यूटर एजेंसी एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी राम प्रवेश यादव दोषी पाए गए थे। इन सभी पर अब एफआइआर दर्ज कर ली गई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड तथा उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवामंडल की प्रबंध समिति के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध भी धोखाधड़ी और षड्यंत्र समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।
उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक (सामान्य) तथा सहायक प्रबंधक (कंप्यूटर) की वर्ष 2015-16 तथा प्रबंधक, सहायक और कैशियर के पदों पर 2016-17 में की गई भर्तियों में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। सपा शासनकाल में वर्ष 2012 से 2017 के मध्य उप्र सहकारी भूमि विकास बैंक, उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम व उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में भर्ती के 49 विज्ञापन जारी हुए थे, जिनमें 40 विज्ञापनों के तहत भर्ती की प्रक्रिया पूरी की गई थी। प्रबंधक, उप महाप्रबंधक, सहायक प्रबंधक, सहायक शाखा आंकिक, सहायक फील्ड आफिसर, सहायक प्रबंधक (कंप्यूटर), वरिष्ठ शाखा प्रबंधक और लिपिक के कुल 2343 पदों पर भर्ती हुई थी।
भाजपा सरकार ने अलग-अलग पदों पर हुई भर्ती में धांधली की शिकायतों पर पूरे प्रकरण की जांच एसआइटी को सौंपी थी। इनमें 1 अप्रैल 2012 से लेकर 31 मार्च 2017 तक सहकारिता विभाग में सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के जरिये की गईं सभी भर्तियों के अलावा कोऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक के पदों पर की गई नियुक्तियों की जांच भी शामिल थी।
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