नई दिल्ली। “आतंकिस्तान”, “कंगाल” और “भिखारी” जैसे शर्मनाक शब्दों से नवाजे जा रहे पाकिस्तान की ऐसी हालत हो गई है कि वह धारा 370 और अनुच्छेद 35ए के खात्मे को लेकर दुनियाभर में गिड़गिड़ा रहा है पर एक-दो अपवादों को छोड़कर कोई भी देश उसकी बात सुनने को तैयार नहीं है। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जम्‍मू-कश्‍मीर पर लिये गए भारत के ताजा फैसले के खिलाफ दुनियाभर के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं पर पाकिस्तान के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए कोई उन्हें भाव नहीं दे रहा। यहां तक कि तालिबान ने भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान को टका सा जवाब दे दिया।

पाकिस्‍तान के शीर्ष राजनयिक ने वाशिंगटन और न्‍यूयॉर्क में अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की पर सहानुभूति के दो शब्द तक सुनने को नहीं मिले। अमेरिका ने कहा है कि दोनों देश नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखें। हम भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर और अन्य मसलों पर सीधी बातचीत का समर्थन करते रहेंगे। अमेरिका ने कोई बड़ा बयान जारी न  करते हुए केवल कश्मीर घाटी में मानवाधिकार के मसले पर ही चिंता जताई है। हालत कुछ ऐसी हो गई कि पाकिस्तानी राजनयिक फ्रस्टेशन में कहने लगा कि यदि अमेरिकी नेताओं की ओर से मध्‍यस्‍थता नहीं की गई तो भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी।

दुनिया ने कहा- सीमा पार आतंकवाद का इस्‍तेमाल न करे पाकिस्तान

विश्‍व समुदाय की ओर से पाकिस्‍तान को साफ शब्‍दों में कह दिया गया है कि क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने के लिए उसे सीमा पार करने से बचना होगा। पाकिस्‍तान को समझाने में अमेरिका समेत कई विश्‍व शक्तियां शामिल हैं। पाकिस्‍तान को साफ-साफ शब्‍दों में यह भी समझा दिया गया है कि वह सीमा पार आतंकवाद का भी इस्‍तेमाल न करे। पाकिस्‍तान पहले ही फाइनेंशियल एक्शन टास्ट फोर्स (एफएटीएफ) की मॉनिटरिंग की जद में है। साथ ही आतंकवाद के मसले पर पाकिस्‍तान पर पूरी दुनिया की नजरे हैं। यहां तक कि तालिबान ने भी पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा है कि कश्मीर मुद्दे को अफगानिस्तान से जोड़े जाने से मसला हल नहीं होगा क्योंकि अफगानिस्तान का मुद्दा इससे एकदम अलग है। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनिओ गुटेरस ने भी दोनों देशों से कश्मीर मुद्दे पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है।

समर्थन जुटाने के लिए पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शुक्रवार को चीन के दौरे पर थे और चीनी विदेश मंत्री के सामने इस मुद्दे को भी उठाया था। बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने लिख्रित बयान में धारा 370 का जिक्र किए बिना ही कहा था कि दोनों देशों को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बरकरार रखने के लिए कोई भी उकसावे वाला कदम नहीं उठाना चाहिए। रूस ने कहा है कि दोनों देशों को अपने संबंधों को सामान्‍य करने की दिशा में काम करना चाहिए। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक पहल करनी चाहिए। साथ ही रूस ने पाकिस्तान से साफ-साफ कह दिया है कि भारत का धारा 370 पर लिया गया फैसला विधि सम्‍मत है। इससे किसी अंतरराष्‍ट्रीय कानून का उल्‍लंघन नहीं हुआ है। । इससे साफ है कि पाकिस्‍तान को किसी भी बड़े देश का मुखर समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है।

बांग्लादेश, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात और मालदीव ने दिया टका सा जवाब

यूरोपियन यूनियन (ईयू ) ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच धारा 370 खत्म करने को लेकर जो तनाव बढ़ा है, उसे कम करने के लिए दोनों देशों को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। बातचीत की मेज पर इस तनाव को कम किया जा सकता है। बांग्लादेश में आवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करना भारत का अंदरूनी मामला है। श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात और मालदीव ने भी इसको भारत का अंदरूनी मामला बताया है।

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