लखनऊ। हाथरसके बूलगढ़ी गांव में मृत दलित किशोरी को न्याय दिलाने के लिए हो रहे आंदोलन की आड़ में रची गई जातीय और सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की साजिश की परतें धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। इसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की बड़ी भूमिका सामने आई है। इस मामले में पीएफआइ के एजेंट सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पीएफआइ का सक्रिय एजेंट अतीकुर्रहमान बूलगढ़ी गांव में पत्रकार के रूप में अपने काम को अंजाम देने में लगा था। गौरतलब है कि सीएए के विरोध में उत्तर प्रदेश और दिल्ली में हुई हिंसा में भी पीएफआई की भूमिका सामने आयी थी।

हाथरस के बहाने इनकी योजना उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने की थी। इस मामले में अतीकुर्रहमान समेत पीएफआइ के चार एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है। अतीकुर्रहमान दंगों के लिए फंड एकत्र करता है। इसका दिल्ली के शाहीन बाग के साथ ही लखनऊ और अलीगढ़ में सीएए के विरोध में फैली हिंसा में भी कनेक्शन सामने आया है। अतीकुर्रहमान ने युवाओं को बरगलाने के लिए “कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया” का भी गठन करवाया है जिसका वह कोषाध्यक्ष भी है।

हाथरस मामले की आड़ में जातीय हिंसा की साजिश में मथुरा से इन चार युवकों को गिरफ्तार किया गया है। ये लोग दिल्ली से हाथरस जा रहे थे। उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि दिल्ली से हाथरस जा रहे ये चारों युवक सोमवार को मथुरा से पकड़े गए। इन लोगों के संबंध पीएफआई से मिले हैं। पुलिस इनकी सक्रियता की भी जांच कर रही है।

जातीय हिंसा की साजिश में पीएफआई का नाम सामने आने के बाद प्रदेश भर में पुलिस अलर्ट पर है। मथुरा जिले में भी अस्थिरता फैलाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। यमुना एक्सप्रेसवे के मांट टोल पर और राया में भी हर व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है और संदिग्धों का शांतिभंग में चालान किया जा रहा है। 

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