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उत्तर प्रदेश में लव जेहाद और धर्मांतरण रोकने के लिए बनेगा कड़ा कानून

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लव जेहाद और धर्मांतरण रोकने के लिए जल्द ही बेहद सख्त प्रावधानों वाला धर्मांतरण विरोधी कानून लाया जाएगा। इस सिलसिले में अन्य राज्यों में लागू अधिनियमों का परीक्षण किया जा रहा है और नया अध्यादेश उसी की तर्ज पर आएगा। दरअसल, राज्य विधि आयोग ने पिछले साल धर्मांतरण जैसे गंभीर मसले पर नया कानून बनाने की सिफारिश की थी। आयोग का मत है कि मौजूदा कानूनी प्रावधान धर्मांतरण रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और इस गंभीर मसले पर 10 अन्य राज्यों की तरह नए कानून की आवश्यकता है।

शुक्रवार को अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों को प्रदेश में लव जेहाद की घटनाएं रोकने को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पहचान छिपाकर बहलाने-फुसलाने या ब्लैकमेल करके धर्मांतरण कराने की कोशिशों पर सख्त कार्रवाई की जाए। महिलाओं का उत्पीड़न या उनके साथ हिंसा की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए कड़ा कानून बनाना पड़ा तो बनाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने हाल के दिनों में सामने आईं महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर नाराजगी जताई। इस दौरान मेरठ, कानपुर और लखीमपुर खीरी में धोखे से लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाने की घटनाओं की भी समीक्षा की गई। गौरतलब है कि ऐसे मामलों में लखीमपुर खीरी और मेरठ में लड़कियों की हत्या भी कर दी गई थी। अकेले कानपुर में लव जेहाद के 11 मामले पुलिस के पास लंबित है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कानपुर और लखनऊ दौरे के दौरान धर्मांतरण के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किये थे। धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर कई अन्य राज्यों में भी गंभीर मंथन जारी है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने पिछले साल मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें जबरन धार्मिक रूपांतरणों की जांच करने के लिए एक नया कानून सुझाया गया था। विधि आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने कहा था, “एक मसौदा कानून, उत्तर प्रदेश स्वतंत्रता विधेयक, 2019 के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।”  रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग का विचार है कि मौजूदा कानूनी प्रावधान धार्मिक रूपांतरण की जांच करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और इस गंभीर मामले पर कुछ अन्य राज्यों की तरह एक नए कानून की जरूरत है। 268-पृष्ठ की रिपोर्ट में जबरन धर्मांतरण, धर्म के अधिकार पर अंतरराष्ट्रीय करार, पड़ोसी देशों और भारत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों के बारे में समाचार पत्रों की कतरनें शामिल थीं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने बल, धोखाधड़ी, विवाह या खरीद द्वारा धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए विशेष कानून बनाए थे। 


gajendra tripathi

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