कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट में वकील व कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में शुमार कपिल सिब्बल के बाद कांग्रेस के एक और बड़े नेता शशि थरूर ने भी कहा है कि कोई भी राज्य नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने से इन्कार नहीं कर सकता। नागरिकता देने में राज्यों की कोई भूमिका नहीं हैं। थरूर यहीं नहीं रुके, आगे कहा- सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का राज्यों का कदम राजनीति से प्रेरित है ।

गौरतलब है कि कपिल सिब्बल ने कहा था कि सीएए के क्रियान्वयन से कोई राज्य इन्कार नहीं कर सकता क्योंकि संसद ने इसे पहले ही पारित कर दिया है। हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि यह असंवैधानिक है।

 शशि थरूर ने गुरुवार को कहा,  “यह एक राजनीतिक कदम है। नागरिकता संघीय सरकार ही देती है और यह स्पष्ट है कि कोई राज्य नागरिकता नहीं दे सकता, इसलिए इसे लागू करने या नहीं करने से उनका कोई संबंध नहीं है।” उन्होंने कहा, “वे (राज्य) प्रस्ताव पारित कर सकते हैं या अदालत जा सकते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से वे क्या कर सकते हैं? राज्य सरकारें यह नहीं कह सकतीं कि वे सीएए को लागू नहीं करेंगी। वे यह कह सकती हैं कि वे एनपीआर-एनआरसी को लागू नहीं करेंगी क्योंकि इसमें उनकी अहम भूमिका होगी।”

 थरूर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीएए पर रोक लगाने का आदेश नहीं देने से इसके खिलाफ प्रदर्शन कतई कमजोर नहीं हुए हैं। उन्होंने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित करने के शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया।

धर्मों का नाम लेना संविधान का उल्लंघनः थरूर

थरूर ने कहा, “नागरिकता के संबंध में धर्मों का नाम लेकर इस कानून ने संविधान का उल्लंघन किया है… लेकिन पांच न्यायाधीशों की पीठ कम से कम सभी तर्कों को सुनेगी और इसके – पर विचार करेगी। इस मौलिक असहमति को सुलझाने का यही एकमात्र तरीका है।”

 यहां एक कार्यक्रम में भाग लेने आए थरूर ने कहा, “इस कानून को लागू नहीं होने देने के दो ही तरीके हैं- पहला, सुप्रीम कोर्ट इसे असंवैधानिक घोषित कर दे और रद्द कर दे और दूसरा, यदि सरकार स्वयं इसे निरस्त कर दे। अब, दूसरा विकल्प व्यवहार्य नहीं है क्योंकि भाजपा अपनी गलतियों को कभी स्वीकार नहीं करेगी।”

थरूर ने कहा कि प्रदर्शन मुख्य रूप से स्वत: शुरू हुए हैं और यदि सरकार यह स्पष्ट करती है कि किसी धर्म को निशाना नहीं बनाया जा रहा है तो कई लोगों के पास प्रदर्शन करने का कारण नहीं बचेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार को सीएए में से धर्म संबंधी खंड हटाने के अलावा भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

कांग्रेस नेता ने साथ ही यह भी कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के क्रियान्वयन में राज्यों की अहम भूमिका होगी क्योंकि केंद्र के पास मानव संसाधन का अभाव है, ऐसे में राज्यों के अधिकारी ही इस काम को पूरा करेंगे।

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