नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के चुनाव में लगातार दूसरी बार सूपड़ा साफ होने के बाद कांग्रेस नेताओं को कुछ नहीं सूझ रहा। महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पर कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया तो पी. चिदंबरम आम आदमी पार्टी (आप) की “जीत का जश्न” मना रहे हैं। कपिल सिब्बल का बयान तो और भी अद्भुत है। वह कांग्रेस की हार से कुछ परेशान तो हैं पर भाजपा की हार से गदगद हैं और कहते हैं, “दिल्ली ने भाजपा को करारा जवाब दिया है और उनकी हार अभी नहीं रुकेगी।” कुल मिलाकर कांग्रेस के नेताओं की हालत उस स्त्री जैसी है जो चाहती है कि “मेरा पति भले ही मर जाए पर मेरी सौतन विधवा हो जाए।”
दिल्ली में कांग्रेस का सफाया होने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी के लिए जमीन तलाशने पूर्वी उत्तर प्रदेश के दौरे पर निकल गईं। वाराणसी में मिडियाकर्मियों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम से जुड़े कई प्रश्न किए लेकिन प्रियंका जवाब दिए बगैर हाथ जोड़ते हुए सीधे कार में बैठ गईं।
पी. चिदंबरम ने अरविंद केजरीवाल को बधाई देते हुए कहा कि दिल्ली की जनता ने भाजपा के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हराया है। इससे पहले चिदंबरम ने ट्वीट किया था, “आप जीती, बड़ी-बड़ी बातें करने वाली और धोखा देने वाली पार्टी हारी। दिल्ली के लोगों ने 2021-2022 में अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव के लिए एक उदाहरण पेश किया है।” उनके इन बयानों पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा बेहद नाराज हैं। उन्होंने चिदंबरम पर तंज कसते हुए कहा- “क्या कांग्रेस ने भाजपा को हराने का जिम्मा क्षेत्रीय दलों को सौंप दिया है?” शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट किया, “सर, मैं जानना चाहती हूं- क्या कांग्रेस ने भाजपा को हराने का काम राज्य की पार्टियों को आउटसोर्स किया है? यदि नहीं, तो हम अपनी हार को लेकर चिंतित होने की बजाय आप की जीत पर क्यों खुश हो रहे हैं? अगर ऐसा है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी को बंद कर देना चाहिए।”
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा- हमारे पास प्रोजेक्ट करने के लिए कोई नेता नहीं है। यह पार्टी के भीतर एक गंभीर मुद्दा है। हम इसे जल्द से जल्द हल करेंगे। इसके बाद सिब्बल भी भजपा की हार पर खुशी मनाने लगे। कहा, “दिल्ली ने भाजपा को करारा जवाब दिया है और उनकी हार अभी नहीं रुकेगी। भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति और उनके मंत्रियों द्वारा समाज को विभाजित करने का खेले जाने वाला कार्ड अब दिल्ली और देश के लोगों को समझ आ गया है। आप झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में आए नतीजों को देख सकते हैं।”
कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने शर्मनाक हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा- 2013 में शीलाजी जब मुख्यमंत्री थी, तब से ही कांग्रेस पार्टी का पतन शुरू हो गया था। आम आदमी पार्टी (आप) ने अस्तित्व में आने के साथ ही कांग्रेस का वोट बैंक छीन लिया। हम अपना वोट बैंक कभी वापस नहीं पा सके। वह अभी भी आप के साथ बना हुआ है।
गौरतलब है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। इस बार के चुनाव में उसका डिब्बा फिर गोल हो गया। दूसरी ओर आप ने दिल्ली विधानसभा की 70 में से 62 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। भाजपा 8 सीटें ही जीत सकी। वर्ष 2015 चुनाव में आप को 67 सीटें मिली थीं।
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