बीजिंग। (Many viruses like corona still exist in nature)कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से परेशान दुनिया को Bat woman (चमगादड़ स्त्री) के नाम से मशहूर चीनी वैज्ञानिक शी जेंगली (Xi Jangli) की एक चेतावनी ने झकझोर कर रख दिया है। जेंगली का कहना है कि कोरोना जैसे कितने ही वायरस प्रकृति में अब भी मौजूद हैं। अगर रिसर्च ना हुई तो कोरोना जैसी कई महामारियां फैल सकती हैं। उनकी इस तरह की चेतावनी दिए जाने के बाद एक बार फिर से दुनिया के तमाम देश सकते में है। उनका कहना है कि अभी कोरोना से निपटने के लिए कोई टीका या इंजेक्शन नहीं बन पाया है, उस पर इस तरह के और वायरस फैलने की सूचना ही शरीर में सिहरन और डर पैदा कर देती है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका, भारत समेत तमाम देशों को लॉकडाउन करना पड़ा। लॉकडाउन से कितना नुकसान हुआ उसका सही-सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। तमाम अर्थशास्त्री सिर्फ अनुमान ही लगा रहे हैं मगर सच्चाई तक कोई नहीं पहुंच पा रहा है। इस बीच एक और ऐसी खबर सभी के लिए चिंता का विषय है। शुरू से ही चमगादड़ों को अशुभ माना जाता है, कोरोना फैलने के बाद से तो उन्हें बीमारी बांटने वाला भी माना जाने लगा है क्योंकि पहले सार्स (SARS) और अब कोविड-19 (कोरोना वायरस) का जन्मदाता चमगादड़ों को ही माना गया है।
शी जेंगली चमगादड़ों और इनके खतरनाक वायरसों की विशेषज्ञ (Expert) हैं। जेंगली उसी वुहान शहर में मौजूद वुहान वॉयरोलॉजी लैब में 15 साल से चमगादड़ों के वायरस पर रिसर्च कर रही हैं जहां से यह जानलेवा वायरस दुनियाभर में फैला। उन्होंने जब कोरोना जैसे और वायरसों के बारे में कहा तो लोगों के कान खड़े हो गए। वैसे यदि कोई मजाक में कोरोना जैसे वायरसों के बारे में कहे तो कोई भी एकबारगी यकीन तो नहीं करेगा मगर जब एक वैज्ञानिक इस तरह की बात करती है तो यकीन करना तो बनता ही है।
शी जेंगली ने चेतावनी देते हुए कहा कि वह 15 साल से रिसर्च कर रही हैं। उनकी टीम ने चमगादड़ों से अब तक सिर्फ तीन तरह के कोरोना वायरस अलग किए हैं। इनमें से एक 96 प्रतिशत सार्स वायरस के समान है तो दूसरा सार्स-कोव-2 वायरस के 79.8 प्रतिशत समान है।
जेंगली ने सार्स जैसे वायरस ढूंढ निकाले। ट्रेसिंग के जरिए वायरसों में जेनेटिक भिन्नता की पहचान की। हम उन्हें सार्स से जुड़े वायरस कहते हैं। इसका मतलब ये सार्स ही नहीं सार्स जैसे वायरस भी मानव जाति के लिए गंभीर खतरा हो सकते हैं। अब ये कितनी मात्रा में मौजूद है इसके लिए रिसर्च करनी ही होगी। 2002 में कोविड-19 जैसा सार्स वायरस फैला था जिसकी शुरूआत भी चीन से हुई थी। लैब में 2004 से ही रिसर्च की जा रही है जिसमें शी जेंगली का बड़ा रोल है। अब जेंगली कह रही हैं कि शोध बढ़ाने की जरूरत है वरना ऐसी महामारियां आती रहेंगी। शेंगली का कहना है कि रिसर्च की वजह से ही कोविड-19 का जल्दी पता लगा, वरना लोग बीमार होकर अस्पताल पहुंच रहे थे और वहां मर जा रहे थे।
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