बरेली लाइव न्यूज नेटवर्क, लखनऊ : उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और चर्चित राजनीतिक परिवार क्या फिर एक हो रहा है? उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार की शाम ऐसे ही कई सवाल उस समय हवा में तैरने लगे जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव करीब साढ़े तीन बजे अचानक अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से मिलने उनके घर पहुंच गये।
चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट करके कहा प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।
चाचा और भतीजे की लंबे समय बाद उनके घर में यह मुलाकात हुई। हालांकि यह भेंट अप्रत्याशित भी नहीं थी। पिछले कई महीनों से चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव के बोल-व्यवहार में एक-दूसरे के प्रति नरमी देखी जा रही थी। इसी के चलते यह कयास लगाए जा रहे थे कि विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ही चाचा-भतीजा फिर से एक हो सकते हैं।
शिवपाल यादव ने गुरुवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के नगर और जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद ही अखिलेश यादव शिवपाल के आवास पहुंचे। काफी दिनों से दोनों दलों के एक होने की चर्चा चल रहीं थीं। ऐसे में अखिलेश का शिवपाल के आवास जाना दोनों के एक होने के संकेत दे रहा है। यह मुलाकात करीब 20 मिनट तक चली और उसके बाद अखिलेश निकल गए। उन्होंने इस दौरान मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। यह भी बताया जा रहा है कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पहले से ही शिवपाल के आवास पर मौजूद थे।
इस दौरान शिवपाल यादव के घर के बाहर दोनों नेताओं के समर्थकों की भीड़ भी जमा हो गई और दोनों की एकता के नारे लगाने लगे। इस मुलाकात के बाद अब माना जा रहा है कि सपा और प्रसपा के बीच गठबंधन हो सकता है। शिवपाल यादव इससे पहले मीडिया में कई बार यह बयान देते रहे हैं कि अखिलेश को जो फैसला करना है वह जल्दी करें। दूसरी तरफ अखिलेश यादव यह कहते रहे थे कि समय आने पर मुलाकात और बातचीत हो जाएगी।
गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव का खानदान वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद दो टुकड़ों में बंट गया था। इसकी शुरुआत वर्ष 2016 में ही हो गई थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे उसी दौरान ही चाचा और भतीजे की राह अलग हो गई थी। इसके बाद शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी। परिवार की लड़ाई इस कदर बढ़ी कि अखिलेश ने चाचा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। फिर चाचा ने भतीजे को ही पार्टी से ही बाहर कर दिया। कुछ दिनों के बाद यह विवाद थमा तो शिवपाल ने अपनी अगल पार्टी बनाकर अलग राह चुन ली।