प्रयागराज। लव जिहाद की घटनाओं को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश (उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020) पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। सरकार को चार जनवरी तक विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को अगले दो दिनों में अपना हलफनामा दाखिल करना होगा। हाईकोर्ट में सात जनवरी को फिर सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाए जाने से फिलहाल इन्कार किया है। अदालत ने कहा कि अध्यादेश पर वह अंतिम निर्णय ही सुनाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत के सामने दलीलें रखते हुए कहा कि क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस तरह का अध्यादेश बेहद ज़रूरी हो गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश के खिलाफ तीन जनहित याचिकाएं दाखिल की गईं थी। इन याचिकाओं में अध्यादेश को गैर ज़रूरी बताते हुए इसे रद्द किए जाने की मांग की गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से इन्कार कर दिया है।