केरी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र से इतर शरीफ से मुलाकात की। शरीफ ने कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों और हत्या का मुद्दा उठाया तथा कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए अमेरिका से मदद मांगी। अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि आतंकी संगठनों से प्रभावी रूप से निपटने के लिए अमेरिका पाकिस्तान की ओर से अधिक प्रगति देखना चाहता है।
टोनर ने कहा, ‘हमने कुछ प्रगति देखी है, हम और देखना चाहते हैं और मुझे लगता है कि आगे बढ़ने के लिए हम करीबी रूप से काम करेंगे और पाकिस्तान के साथ तथा क्षेत्र में आतंकरोधी व्यापक सहयोग को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे।’ बाद में, विदेश विभाग प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया केरी ने पाकिस्तान के लिए इस बात की जरूरत दोहराई कि आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह के रूप में पाकिस्तानी सरजमीं का इस्तेमाल करने से रोका जाए। साथ ही चरमपंथी हिंसा का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की हालिया कोशिशों की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और केरी ने कश्मीर की हालिया घटना..खासतौर पर सैनिकों पर हुए हमले पर गंभीर चिंता जताई। सभी पक्षों की ओर से तनाव घटाने की जरूरत भी बताई। गौरतलब है कि रविवार को कश्मीर के उरी में सेना के एक बटालियन मुख्यालय पर आतंकवादियों के हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए और कई अन्य घायल हो गए।
केरी ने परमाणु हथियार कार्यक्रमों में संयम की जरूरत पर भी जोर दिया। पाकिस्तानी दूतावास द्वारा बैठक के बारे में दी गई जानकारी के मुताबिक शरीफ ने अमेरिकी प्रशासन और विदेश मंत्री केरी से पाकिस्तान एवं भारत के बीच द्विपक्षीय मुद्दों का हल करने के लिए अपने कार्यालयों का इस्तेमाल करने को कहा।
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे के साथ मुलाकात में शरीफ ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाया और क्षेत्र में लोगों के खिलाफ सेना के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए भारत को सहमत करने में ब्रितानी नेता से भूमिका अदा करने को कहा। पाकिस्तान दूतावास द्वारा जारी सूचना के मुताबिक शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों के आत्म निर्णय के लिए उनके जायज संघर्ष का समर्थन करता है और कश्मीर के मुद्दे पर उसकी प्रतिबद्धता अपरिवर्तनीय है।
शरीफ ने आरोप लगाया कि कश्मीर में ‘मानवाधिकार उल्लंघन और सरकारी दमन’ चरम पर है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का यह कर्तव्य है कि वह भारत से बेकसूर एवं नि:सहाय कश्मीरी लोगों पर किए जा रहे सरकारी अत्याचारों को तत्काल खत्म करने के लिए कहे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को अवश्य ही अपनी नियति चुनने की इजाजत दी जानी चाहिए और कश्मीरी लोगांे के आत्मनिर्णय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के काफी समय से लंबित प्रस्तावों को लागू किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जम्मू कश्मीर में भारत को सरकार के अत्याचार को फौरन खत्म करने के लिए कहने में सफल नहीं होता है तो भारत इस गतिविधि को तेज करने के लिए प्रोत्साहित होगा।
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