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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने धरती पर सबसे स्वच्छ हवा वाले स्थान का पता लगाया

नई दिल्ली। (Place of cleanest air on the Earth) धरती पर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जिससे पर्यावरण असंतुलित होता जा रहा है। ओजोन परत भी प्रभावित हो रही है। पूरी दुनिया की हवा की गुणवत्ता भी पहले के मुकाबले बेहद खराब हो गई है। इसी बीच अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने पृथ्वी पर एक ऐसे स्थान को खोज निकाला है जहां की हवा सबसे स्वच्छ है। यह हवा धरती के दक्षिणी छोर पर स्थित अंटार्कटिक महासागर के ऊपर बहती है और मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषक कणों से रहित है। 

अपने तरह के इस पहले शोध में अंटार्कटिक महासागर के बायोएरोसोल का अध्ययन किया गया। कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस दौरान एक ऐसे वायुमंडलीय क्षेत्र का पता लगाया जिस पर मानव गतिविधियों के कारण कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज पत्रिका में गत सोमवार को प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र को सही मायने में पवित्र करार दिया। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि अंटार्कटिक महासागर के ऊपर बहने वाली हवा मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले एरोसोल (हवा में निलंबित कण) से मुक्त है। इस हवा में जीवाश्म ईंधन, फसलों की कटाई, उर्वरक और अपशिष्ट जल निपटारे आदि के कारण उत्पन्न होने वाले कण मौजूद नहीं थे। वायु प्रदूषण का कारण ये एरोसोल ही हैं। एयरोसोल हवा में ठोस-द्रव या गैस के रूप मे मौजूद रहने वाले कण हैं। 

मानवीय गतिविधियों के कारण तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से वैज्ञानिकों को धरती पर एक ऐसा स्थान ढूंढ़ने में काफी संघर्ष करना पड़ा जो मानवीय गतिविधियों से अछूता हो। हालांकि, प्रोफेसर सोनिया क्रीडेनवीस और उनकी टीम ने संभावना जताई कि अंटार्कटिक सागर के ऊपर मौजूद हवा मानवीय गतिविधियों और धूल के कणों के कारण सबसे कम प्रभावित होगी। शोध में शामिल वैज्ञानिक और इस अध्ययन के सहलेखक थॉमस हिल ने कहा कि अंटार्कटिक महासागर के बादलों के गुणों को एरोसोल नियंत्रित करते हैं जो महासागर की जैविक प्रक्रिया से भी जुड़े हैं। ऐसा लगता है कि अंटार्कटिक महासागर दक्षिणी महाद्वीप से आए सूक्ष्मजीवों और पोषक तत्वों के फैलाव से अलग-थलग है।  

वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक महासागर के ऊपर चलने वाली वायु का नमूना लेकर उसमें मौजूद सूक्ष्म जीवों के अध्ययन में पाया कि इनकी उत्पत्ति समुद्र में हुई है। इन सूक्ष्म जीवों के बैक्टीरियल कंपोजिशन के आधार पर दावा किया गया कि काफी दूर स्थित महाद्वीपों पर मौजूद एयरोसोल अंटार्कटिक महासागर की हवा तक नहीं पहुंच सके। यह अध्ययन पूर्व के उस अध्ययन के विपरीत है जिसमें कहा गया है कि ज्यादातर सूक्ष्म जीव महाद्वीपों की ओर से आने वाले हवा के जरिये फैलते हैं। 

वायु प्रदूषण से हर साल 7 करोड़ लोगों की मौत

 विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण दुनियाभर में हर साल 7 करोड़ लोगों की मौत होती है। वायु प्रदूषण से दिल की बीमारी, स्ट्रोल और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। निम्न और मध्यम अर्थव्यवस्था वाले देशों में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर है। 
  
 

gajendra tripathi

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