स्त्रीधन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला :मंगलसूत्र और स्त्रीधन की चुनावी चर्चा के बीच, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सुर्खियों में है।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक फैसले में स्त्रीधन पर पूरी तरह से सिर्फ महिलाओं को अधिकार बताया है। पत्नी की प्रॉपर्टी पर पति का कोई अधिकार नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ कहा है कि महिला का स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है जिसे अपनी मर्जी से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है। इस स्त्री धन में पति कभी भी साझीदार या हिस्सेदार नहीं बन सकता।
लोकसभा चुनाव के बीच मंगलसूत्र और स्त्रीधन, इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। मोदी सरकार और विपक्ष के बीच हो रही जुबानी जंग में, ये दोनों ही शब्द बार-बार सुनाई दे रहे हैं। इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक फैसला सुनाया है, जिसमें स्त्रीधन को पूरी तरह से महिलाओं का हक बताया गया है। आखिर स्त्रीधन क्या है, यह दहेज से किस तरह अलग है, किस मामले में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है और क्यों यह शब्द हाल-फिलहाल में चर्चा में बना हुआ है, चलिए आपको बताते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ कहा है कि महिला का स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है जिसे अपनी मर्जी से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है। इस स्त्री धन में पति कभी भी साझीदार या हिस्सेदार नहीं बन सकता।
क्या था मामला?
महिला ने दावा किया था कि उसकी शादी के समय उसके परिवार ने 89 सोने के सिक्के उपहार में दिए थे। शादी के बाद उसके पिता ने उसके पति को दो लाख रुपये का चैक भी दिया था। महिला के मुताबिक शादी की पहली रात पति ने उसके सारे आभूषण ले लिए और सुरक्षित रखने के बहाने से अपनी मां को दे दिए। महिला ने आरोप लगाया कि पति और उसकी मां ने अपने कर्ज को चुकाने में उसके सारे जेवर का दुरुपयोग किया। फैमिली कोर्ट ने 2011 में कहा था कि पति और उसकी मां ने वास्तव में अपीलकर्ता महिला के सोने के आभूषण का दुरुपयोग किया और इसलिए वह इस नुकसान की भरपाई की हकदार है।
केरल हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा दी गई राहत को आंशिक रूप से खारिज करते हुए कहा कि महिला पति और उसकी मां द्वारा सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित नहीं कर पाई। तब महिला ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि ‘स्त्रीधन’ पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहीं होती है, और पति के पास मालिक के रूप में संपत्ति पर कोई अधिकार या स्वतंत्र प्रभुत्व नहीं है।
स्त्रीधन क्या होता है?
शादी से पहले, शादी के दौरान और विदाई या उसके बाद महिला को उपहार में मिली संपत्तियां उसका ‘स्त्रीधन’ होती हैं। यह उसकी पूर्ण संपत्ति है और वह अपनी इच्छानुसार इसका जो चाहे कर सकती है।
कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला ने 89 सोने के सिक्कों के बदले में रुपयों की वसूली के लिए सफलतापूर्वक कार्रवाई शुरू की है। साल 2009 में इनका मूल्य 8.90 लाख रुपये था। बेंच ने कहा, ‘इस दौरान फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखना, बिना किसी अतिरिक्त बात के, उसके साथ अन्याय होगा। समय बीतने, जीवन-यापन की बढ़ती लागत और समानता तथा न्याय के हित को ध्यान में रखते हुए, हम संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए अपीलकर्ता को 25,00,000 रुपये की राशि प्रदान करना ठीक समझते हैं।’
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