नई दिल्ली। अरबों रुपयों के आम्रपाली धोखाधड़ी मामले में क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ दर्ज एफआईआर में शिकायतकर्ता रूपेश कुमार सिंह ने धोनी का नाम बतौर मुलजिम दर्ज किए जाने की मांग की है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 27 नवंबर 2019 को दर्ज की गई एफआईआर में इसका साफ-साफ जिक्र है।
एफआईआर में आम्रपाली ग्रुप, उसके कर्ता-धर्ता अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिया, मोहित गुप्ता आदि को बतौर मुलजिम शामिल किया गया है। इस एफआईआर नंबर 265 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406/409/420/120बी के तहत दर्ज किया गया है।
एफआईआर में दर्ज मजमून के मुताबिक, “ग्राहकों को लुभावने सपने दिखाकर अरबों रुपये डकार जाने वाले आम्रपाली बिल्डर ने एमएस धोनी का भी खुलकर बेजा इस्तेमाल किया। उन्हें आम्रपाली ग्रुप का ब्रांड एम्बेसडर सिर्फ इसलिए बनाया गया ताकि लोग उनके (धोनी के) नाम पर आसानी से झांसे में आकर अपने खून-पसीने की गाढ़ी कमाई इस प्रोजेक्ट में स्वाह कर दें।”
एफआईआर में दर्ज है कि इस गोरखधंधे में आम्रपाली ग्रुप ने करीब 2 हजार 647 करोड़ रुपये अपने विभिन्न प्रोजेक्ट्स/टॉवर्स के नाम पर अनजान ग्राहकों से उगाहे और इतनी भारी-भरकम रकम को इधर-उधर लगा दिया जबकि प्रोजेक्ट आज तक अधूरे पड़े हैं।
एफआईआर में दर्ज रूपेश कुमार के बयान के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को साफ कर दिया है कि आरोपियों ने इन प्रोजेक्ट्स को लांच ही अनजान लोगों को गुमराह करके ठगने के लिए किया था, जैसा कि उन्हीं सब में से एक मैं खुद भी हूं।” रूपेश ने एफआईआर में दर्ज करवाया है कि अरबों रुपये की इस ठगी में बैंक और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की भी मिलीभगत है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने 10 प्रतिशत प्रीमियम के बदले आम्रपाली को प्लाट दे दिए पर उसके बाद ने यह नहीं देखा कि बिल्डर ग्राहकों को कैसे ठग रहा है? बिल्डर ग्राहकों से रकम वसूलता रहा मगर उसने अथॉरिटी में पैसा जमा ही नहीं किया। इसके बाद भी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी कुछ नहीं बोली। रूपेश ने कहा है, “आम्रपाली बिल्डर मेरे जैसे हजारों लोगों से 90 प्रतिशत तक रकम वसूल चुका है। इसके बावजूद मगर फ्लैटों का कोई अता-पता नहीं है।”
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