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एक और कंपनी लोगों को करोड़ों रुपये समेट कर फरार, बदायूं का है मामला

उझानी (बदायूं)। कम समय में रकम को दोगुना से तीन गुना तक करने का झांसा देने वाली दर्जनों कंपनियों के करोड़ों रुपये लेकर रातोंरात फरार हो जाने के बावजूद लोग सबक नहीं ले रहे हैं। कम समय में ज्यादा से ज्यादा कमाई के लालच में वे ऐसे ठगों का शिकार बन रहे हैं। ताजा मामला प्रेस्टीज ग्रीन इंडिया नामक कंपनी का है जो छह साल में लोगों के करोड़ों रुपये समेटने के बाद ऐसे फरार हुई कि ढूंढे नहीं मिल रही और लुटेपिटे लोग अब पुलिस से आरोपितों का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं।  

प्रेस्टीज ग्रीन इंडिया नामक कंपनी ने करीब छह साल पहले जिले में अपना दफ्तर खोला था। उसके कारिंदों ने खासकर देहात क्षेत्र में हजारों लोगों का आवर्ती खाता (आरडी) खोलकर प्रति खाताधारक हर महीने एक हजार रुपये जमा कराए। आरडी परिपक्व (Mature) होने पर हर खाताधारक को 1.14 लाख रुपये देने का वायदा किया गया था। अब जब आरडी मैच्योर हो चुकी हैं तो खाताधारक अपनी रकम वापस पाना चाहते हैं। लेकिन, उनकी मुसीबत यह है कि कंपनी अपना कार्यालय बंद कर फरार हो चुकी है और उसके कारिंदे ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। परेशान खाताधारकों ने इसकी शिकायत एसएसपी कार्यालय में की है।

प्रेस्टीज ग्रीन इंडिया की धोखाधड़ी के शिकार लोगों में सर्वाधिक संख्या कोतवाली क्षेत्र के बसोमा गांव की बताई गई है। एसएसपी कार्यालय पहुंचे यहां के खाताधारकों गौरव साहू और राधारमन ने बताया कि करीब छह साल पहले गांव के ही एक व्यक्ति ने खुद को कंपनी का अभिकर्ता बताकर प्रति व्यक्ति छह साल तक हर माह एक हजार रुपये जमा करने का प्रस्ताव दिया। वायदा किया कि तय समय पूरा होने पर हर खाताधारक को 1.14 लाख रुपये लौटाए जाएंगे। चूंकि वह व्यक्ति परिचित था, इसलिए धीरे-धीरे करके गांव के करीब डेढ़ सौ लोगों ने आरडी खुलवा लीं। छह साल में प्रति खाताधारक 72 हजार रुपये जमा हो गए। आरडी मेच्योर होने पर उन्होंने स्थानीय अभिकर्ता से संपर्क साधा तो उसने कंपनी के कार्यालय बदायूं में बहेड़ी मोड़ पर जाने को कहा और वहीं से रकम वहीं प्राप्त करने की सलाह दी। इस पर वे पिछले दिनों कंपनी के कार्यालय पहुंचे तो उसके गेट पर ताला लटका मिला। रकम डूब जाने की आशंका से परेशान खाताधारकों की मानें तो स्थानीय अभिकर्ता भी अब उन्हें सकारात्मक जवाब नहीं दे रहा है। उनका यहां तक कहना है कि अभिकर्ता के जरिए जमा रकम की जो रसीदें प्राप्त हुई हैं, वे फर्जी भी हो सकती हैं। शनिवार को कई खाताधारक इसकी शिकायत करने एसएसपी कार्यालय पहुंचे। एसएसपी से भेंट नहीं होने पर उनके अधीनस्थों को इसकी जानकारी दी।

कोतवाल विनोद कुमार चाहर ने बताया कि बसोमा के जिन लोगों ने प्रेस्टीज ग्रीन इंडिया में रुपये जमा किए हैं उनमें अधिकतर खाताधारक काश्तकार हैं या कुछ लोग प्राइवेट काम करते हैं। उन्होंने कम रकम की किस्तों पर अधिक मुनाफे के लालच में रुपये जमा किए थे।

gajendra tripathi

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