नई दिल्ली। अंग्रेजियत का बोझ ढो रही भारत की उच्च न्यायिक व्यवस्था में यह खबर खुशनुमा एहसास की तरह है। सुप्रीम कोर्ट का फैसले जल्द ही हिंदी में भी उपलब्ध होंगे। इस महीने के आखिरी तक शीर्ष अदालत का फैसला न सिर्फ अंग्रेजी में बल्कि हिंदी सहित छह क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध होगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इसके लिए नए सॉफ्टवेयर को हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेयर विंग इसके लिए काम कर रही है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अभी सिर्फ अंग्रजी भाषा में ही फैसले उपलब्ध होते हैं। लेकिन, इस महीने के आखिर तक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर फैसलों की कॉपी अंग्रेजी के अलावा हिंदी, असमी, मराठी, उड़िया, कन्नड़ और तेलुगु भाषा में भी आएगी। शुरुआत में सिविल मैटर जिनमें दो लोगों के बीच विवाद हो, क्रिमिनल मैटर, मकान मालिक और किरायेदार का मामला और वैवाहिक विवाद से संबंधित मामलों के फैसले क्षेत्रीय भाषाओं में अपलोड किए जाएंगे।

गौरतलब है कि 2017 में कोच्ची में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बात पर बल दिया था कि फैसले क्षेत्रीय भाषाओं में भी होने चाहिए जिससे गैर अंग्रजी भाषी लोगों को फायदा होगा।

इसी बीच डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश से आग्रह किया है कि तमिल भाषा को उन क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में स्थान दिया जाए जिनमें फैसले की प्रति अनुवादित की जा सकती है। स्टालिन ने यह आग्रह मुख्य न्यायधीश के उस बयान के बाद किया है जिसमे उन्होंने कहा था कि उनका प्रयास है कि दक्षिण भारत के लोगों को न्यायालय के आदेश की प्रति पांच क्षेत्रीय भाषाओं में दी जा सकेगी।  

 
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