नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35ए हटाने के बाद केंद्र सरकार की एक और बड़ी योजना पर शनिवार को फैसला आ गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी है। इस सूची में तीन करोड़ 11 लाख 21 हजार चार लोगों के नाम शामिल हैं जबकि 19 लाख 6 हजार 657 लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं हैं। इस सूची को nrcassam.nic.in पर क्लिक करके देखा जा सकता है। जिन लोगों के नाम इस सूची में शामिल नहीं हैं वे विदेशी न्यायाधिकरण में अपील कर सकते हैं
असम में नागरिकता पहचान का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है। सूची को लेकर लाखों लोगों के दिल की धड़कन अपने भविष्य को लेकर बढ़ी हुई है। हालांकि राज्य सरकार ने सूची में नाम नहीं आने पर लोगों को भयभीत न होने और हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है। राज्य के कई संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है। राज्य में सुरक्षाबलों की 218 कंपनवियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कुलाधर सैकिया ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति माहौल बिगाड़ने या अफवाह फैलाने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एनआरसी को अपडेट करने का काम काफी समय से चल रहा है और कई तरह की चुनौतियों के बीच पुलिस व्यवस्था बनाने में कामयाब रही है। एनआरसी को लेकर सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने की कोशिश की जा रही है। असम के डीजीपी ने लोगों से इसे लेकर सचेत रहने के लिए कहा है। साथ ऐसी कोई भी सूचना मिलने पर उन्हें पुलिस में रिपोर्ट करने को कहा है।
एनआरसी की अंतिम सूची में नाम शामिल न होने वाले लोग विदेशी न्यायाधिकरणों में अपील कर सकते हैं। राज्य सरकार ऐसे 400 विदेशी न्यायाधिकरणों को स्थापित करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में एनआरसी को अपडेट करने का आदेश दिया था जिससे कि बोनाफाइड नागरिकों की पहचान की जा सके और अवैध अप्रवासियों को बाहर निकाला जा सके। लेकिन, इस पर असल काम फरवरी 2015 से शुरू हुआ था।
केंद्र सरकार के मुताबिक, एनआरसी की फाइनल सूची से बाहर होने वाले लोगों को तुरंत विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा। इन लोगों के लिए सभी कानूनी रास्ते खुले होंगे। जिनका भी नाम इस लिस्ट में नहीं होगा वे विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकेंगे। इसके लिए सरकार ने अपील करने की समय सीमा को 60 से बढ़ाकर 120 दिन कर दिया है।
सरकार के अनुसार अंतिम सूची से बाहर होने वाले लोगों के मामले की सुनवाई के लिए एक हजार ट्रिब्यूनल बनाए जाएंगे। इनमें से 100 तैयार हैं और 200 सितंबर के पहले हफ्ते में तैयार हो जाएंगे।
ट्रिब्यूनल में जो लोग केस हार जाएंगे, उनके पास हाईकोर्ट और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट जाने का भी विकल्प होगा। यही नहीं इस दौरान किसी को डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा।
मसौदा एनआरसी में जिन लोगों का नाम शामिल नहीं था और शनिवार को प्रकाशित होने वाली अंतिम एनआरसी सूची में उन्हें जगह मिल गई है तो उनके आधार कार्ड जारी किए जाएंगे। एनआरसी अधिकारियों ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित मसौदा एनआरसी में जगह नहीं बना पाए 36 लाख लोगों का बायोमीट्रिक डाटा लिया गया है। इन्होंने भारतीय नागरिकता का दावा किया था। इस बायोमीट्रिक डाटा की वजह से आधार कार्ड बनाना संभव होगा।
एनआरसी का मसौदा प्रकाशन 31 दिसंबर, 2017 की आधी रात को किया गया था। पूरा मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित किया गया था। 3,29,91,384 (3 लाख से ज्यादा) आवेदकों में से कुल 2,89,83,677(2 लाख से ज्यादा) लोगो रजिस्टर में शामिल करने के पात्र पाए गए थे।
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का पहला प्रकाशन असम में साल 1951 में किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक इसे अपडेट किया जा रहा है ताकि असम में रह रहे भारतीयों और बांग्लादेशी शरणार्थियों की पहचान की जा सके।
अंतिम सूची से बाहर होने वाले लोगों को केंद्र सरकार से कानूनी सहायता मिलेगी। इसके अलावा इन लोगों की सहायता के लिए भाजपा और कांग्रेस ने लोगों की सहायता करने के लिए योजना बनाई है। इसके अलावा कई स्वयं सहायता समूह भी ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं।
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