नई दिल्ली। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में सुप्रीट कोर्ट का फैसला निर्धारित समयसीमा के अंदर आने की उम्मीद बढ़ गई है। मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने गुरुवार को साफ कर दिया कि इस मामले में 18 अक्टूबर के बाद पक्षकारों को जिरह के लिए एक भी दिन ज्यादा नहीं मिलेगा, सुनवाई पूरी करने की तिथि बढ़ाई नहीं जाएगी।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सभी पक्षों को कहा कि तय समय पर सुनवाई पूरी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर 4 हफ्तों में फैसला दे दिया तो चमत्कार हो जाएगा। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आज का दिन (गुरुवार) को मिलाकर हमारे पास सिर्फ सुनवाई खत्म करने के लिए साढ़े 10 दिन बचे हैं।” सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई का गुरुवार को 32वां दिन है। जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सबसे पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस मामले पर अपनी राय आगे रखी। गौरतलब है कि अब तक 31 दिनों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो चुकी है।

हिंदू पक्षकारों ने अपनी दलीलें रख दी हैं और मुस्लिम पक्षकार की दलीलें जारी हैं। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अगर 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी हो जाती हैं तो चार सप्ताह में फैसला देना किसी करिश्मे से कम नहीं होगा। गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश गोगोई इससे पहले इस बात पर टिप्पणी कर चुके हैं कि सभी पक्षों को कोशिश करनी चाहिए कि 18 अक्टूबर तक अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी हो सके क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को इसके बाद एक महीने का समय इस मसले का फैसला लिखने के लिए चाहिए होगा।

मुख्य न्यायाधीश गोगोई के इसी बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई का समय बढ़ा दिया था। सुप्रीम कोर्ट में अब अयोध्या मामले को हफ्ते में पांच दिन सुना जा रहा है, साथ ही साथ इस मसले को अदालत रोजाना एक घंटा अधिक सुन रही है। यानी सुनवाई अब शाम 5 बजे तक की जा रही है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में यह भी कहा था कि अगर जरूरत पड़ती है तो अदालत शनिवार को भी सुनवाई कर सकती है।

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