नई दिल्‍ली। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में 21वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बहस जारी रखी। उन्‍होंने हिंदू पक्ष के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या रामलला विराजमान कह सकते हैं कि उस जमीन पर मालिकाना हक़ उनका है? नहीं, क्‍योंकि उनका मालिकाना हक़ कभी नहीं रहा है!”

मुस्लिम पक्षकार ने 1962 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जाए। यही कानून के तहत होगा। उन्‍होंने कहा कि यह साबित किए जाने कि कोशिश कि जा रही है कि जमीन पहले हिंदू पक्षकारों के अधिकार में थी। यह मानकर अदालत को विश्वास दिलाया जाता रहा है जो उचित नहीं है। धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा ने जो गैरकानूनी कब्जा चबूतरे पर किया उस पर मजिस्ट्रेट ने नोटिस कर दिया। इसके बाद से न्यायिक समीक्षा शुरू हुई और एक नोटिस जो कि गलत दावा था, उसके चलते आज 2019 में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

सुनवाई के सीधे प्रसारण के लिए जनहित याचिका

अयोध्या मामले की सुनवाई के सीधा प्रसारण की मांग वाली एक अन्‍य जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 सितंबर को सुनवाई करेगा। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य की याचिका में अयोध्या मामले की सुनवाई के सीधे प्रसारण या रिकॉर्डिंग की मांग की गई है। गोविंदाचार्य ने याचिका में कहा है कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है। याचिकाकर्ता समेत करोड़ों लोग इस सुनवाई का हिस्सा बनना चाहते हैं। उन्होंने सितंबर 2018 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया है जिसमें अहम संवैधानिक मामलों में लाइव स्ट्रीमिंग की शुरुआत करने की बात कही गई थी।

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