नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि जमीन विवाद पर 12वें दिन की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष निर्मोही अखाड़े ने अपना पक्ष रखा। वह इस बात पर अड़ा रहा कि पूरा विवादित हिस्सा उसका है। रामलला और उनके मित्र का इसमें कोई भी हक नहीं बनता।
निर्मोही अखाड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सुशील जैन ने कहा, “हम देवस्थान का प्रबंधन करते हैं और पूजा का अधिकार चाहते हैं। जन्मस्थान का पजेशन न तो देवता के नेक्स्ट फ्रेंड को दिया जा सकता है न ही पुजारी को। यह केवल जन्मस्थान के कर्ता-धर्ता को दिया जा सकता है और निर्मोही अखाड़ा जन्मस्थान का देखरेख करता है।“
सुशील जैन ने कहा कि पूरा विवादित स्थल उनका है क्योंकि वह इसके पुजारी हैं। स्थल का अंदरूनी हिस्सा जहां मूर्तियां रखी गई हैं वह भी उनका ही है। उन्होंने कहा कि चबूतरे की मूर्तियों को ही 1949 में अंदर शिफ्ट किया गया था लेकिन हमारा मानना है कि ये पहले से ही अंदर थीं।
सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने पूछा कि स्वीकार कर रहे हैं कि जन्मस्थान कानूनी व्यक्ति हैं लेकिन यहां आप इससे मना करते हैं। आप कहते हैं कि देवता को पक्ष नहीं बनाया जा सकता लेकिन देवता को एक तिहाई हिस्सा दिया गया है। अदालत ने कहा कि आप इस विवाद में क्यों जा रहे हैं। ये विवाद तो सुन्नी बोर्ड का होगा। इस बीच पीठ के दूसरे जज जस्टिस एसए बोब्डे भी सवाल किया और पूछा कि यदि मुकदमा नंबर पांच (रामलला विराजमान) खारिज हो गया तो आप किस के सेवक रह जाएंगे। क्या आप मस्जिद के सेवक बनना चाहेंगे। आप तय कर लो कि आप मुकदमा नंबर पांच में सेवक रहेंगे या रामलला का विरोध करेंगे।
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