बरेली, आंवला, बदायूं और पीलीभीत सीटें जहां सपा के कोटे में जाने की सभावना है, वहीं शाहजपांपुर सीट बसपा को मिल सकती है।
बरेली। अखिलेश यादव और मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में गठबंधन भले ही कर लिया हो पर अब तक यह साफ नहीं है कि इन दोनों के हिस्से में कौन-कौन सी लोकसभा सीटें आयी हैं। ऐसे में कयासों का दौर जारी है। दोनों दलों के नेता-कार्यकर्ता अपने-अपने हिसाब से संभावित सीटों का गुणा-भाग कर रहे हैं। जहां तक बरेली मंडल की पांचों सीटों की बात है, पिछले लोकसभा चुनाव के परिणामों को देखते हुए सपा का दावा सभी सीटों पर मजबूत लगता है। दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव में बदायूं से सपा के धर्मेंद्र यादव जीते थे जबकि बरेली समेत बाकी सभी सीटों पर वह दूसरे स्थान पर रही थी। यही कारण है कि पांचों सीटों पर सपा से टिकट के संभावित दावेदारों ने अपना-अपना गणित साधना शुरू कर दिया है और लगभग सभी प्रत्याशी तय माने जा रहे हैं। फिर भी गठबंधन में संतुलन बनाए रखने के लिए शाहजहांपुर से बसपा का उम्मीदवार मैदार में उतर सकता है।
बदायूं से इस समय मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव समाजवादी पार्टी के सांसद हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद मतदाताओं ने उन पर भरोसा जताया था।बदायूं की जनता उन्हें विकास पुरुष के रूप में मानती है। लोकसभा में वे सक्रिय और मुखर सदस्य के तौर पर जाने जाते हैं और बहसों में सपा का पक्ष रखते रहे हैं। ऐसे में उनका टिकट तय माना जा रहा है।
पीलीभीत सीट पर समाजवादी पार्टी पिछली बार चुनाव लड़े रामशरण गंगवार के स्थान पर भगवत सरन गंगवार को टिकट दे सकती है। भगवत सरन हालांकि पीलीभीत के निवासी न होकर बरेली के नवाबगंज विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं, लेकिन पीलीभीत में भी उनकी अच्छी पकड़ की बात कही जा रही है। साथ ही पीलीभीत सीट पर उनकी कुर्मी बिरादरी के मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है। साथ ही उन्हें सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का खास माना जाता है। ऐसे में भगवत सरन आठवीं बार चुनाव के मैदान में हो सकते हैं। वह पांच बार विधायक रह चुके हैं। राम मंदिर लहर के दौरान 1991 और 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। लेकिन, 1996 में समाजवादी पार्टी के छोटेलाल गंगवार ने भगवत सरन को हराकर नवाबगंज सीट पर कब्जा कर लिया। 2002 में भगवत कमल को छोड़कर साइकिल पर सवार हो गए। वह 2002, 2007 और 2012 में लगातार तीन बार विधायक चुने गए। इस बार लोकसभा टिकट की दावेदारी करते हुए उनका कहना है कि पार्टी जहां से भी टिकट देगी, वह पूरे दमखम से चुनाव लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे।
बरेली में समाजवादी पार्टी किसी मुस्लिम उमीदवार पर दांव लगा सकती है। ऐसे में सबसे आगे इस्लाम साबिर का नाम चल रहा है। वह सपा के टिकट पर पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस्लाम साबिर अपनी बहू आयशा इस्लाम को लोकसभा चुनाव लड़ा सकते हैं। आयशा पिछले चुनाव में भी मैदान में उतरी थीं पर भाजपा के संतोष गंगवार से पार नहीं पा सकीं।
सपा आंवला से सिद्धराज सिंह को टिकट दे सकती है। वह पूर्व सांसद सर्वराज सिंह के पुत्र हैं। सर्वराज का क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी वह मैदान में थे पर मोदी लहर उनके वोट उड़ा ले गई। सिद्धराज भी आंवला से पिछला विधानसभा चुनाव लड़े थे और दूसरे स्थान पर रहे थे। यहां भाजपा के धर्मपाल सिंह ने उन्हें हराया था जो इस समय योगी कैबिनेट में सिंचाई मंत्री हैं। आंवला से टिकट के लिए दातागंज से सपा के एक पूर्व विधायक भी दौड़ में माने जा रहे हैं।
मंडल में शाहजहांपुर एकमात्र ऐसी सीट है जहां बसपा अपना उम्मीदवार उतार सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा की कृष्णा राज ने जीत हासिल की थी जो इस समय मोदी सरकार में मंत्री हैं जबकि सपा के मिथिलेश कुमार दूसरे और बसपा के उम्मेद सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। शाहजपांपुर सीट बसपा के कोटे में जाने पर माना जा रहा है कि मिथिलेश कुमार साइकिल छोड़कर हाथी की सवारी कर सकते हैं। यहां से उपेंद्र पाल भी बसपा के टिकट की लाइन में हैं। लेकिन, सबसे मजबूत दावा पिछली बार तीसरे स्थान पर रहे फूलनदेवी के पति उम्मेद सिंह माना जा रहा है।
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