नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने नए नियम जारी किए हैं। इसके मुताबिक राज्यों की एजेंसियों को यातायात के नियम (Traffic rules) के उल्लंघन से संबंधित अपराध होने के 15 दिनों के अंदर आरोपी को नोटिस भेजना होगा। साथ ही चालान के निपटान तक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना होगा। यानी यातायात के नियम तोड़ने पर अब पुलिस सिर्फ फोटो खींचकर आपके पास चालान नहीं भेज पाएगी।. अब चालान करने के लिए उसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जरूरत पड़ेगी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग और सड़क सुरक्षा के प्रवर्तन के लिए संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 1989 (Amended Motor Vehicles Act 1989) के तहत एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें चालान जारी करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल किए जाने की बात कही गई है। ट्वीट में लिखा है, “अपराध की सूचना घटना के 15 दिनों के भीतर भेजी जाएगी और इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग के जरिए इकट्ठा किए गए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को चालान के निपटारे तक संगृहीत किया जाना चाहिए।”
1. ओवर स्पीडिंग
2. गलत जगह गाड़ी पार्क करना
3. ड्राइवर या पिछली सीट की सवारी द्वारा नियमों का उल्लंघन
4. टू व्हीलर पर हेलमेट न पहनना
5. रेडलाइट जंप करना
6. गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल
7. ओवर लोडिंग
8. सीट बेल्ट न लगाना
9. माल वाहन में सवारी ढोना
10. नंबर प्लेट खराब या छिपी होना
11. गाड़ी में अधिक ऊंचाई तक माल लोड होना
नए नियमों के तहत यातायात नियमों का पालन कराने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाएगा। इनमें मोशन कैप्चर पिक्चर कैमरा (कार की स्पीड पता करने वाला कैमरा), सीसीटीवी कैमरा, स्पीड गन, बॉडी कैमरा, मोटर के डैशबोर्ड पर लगाने वाला कैमरा, ऑटोमैटिक नंबर प्लेट की पहचान संबंधी डिवाइस (ANPR), वजन बताने वाली मशीन और अन्य इलेक्ट्रिक डिवाइसेस शामिल हैं। नोटिफिकेशन के अनुसार, राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करेंगी कि ट्रैफिक नियमों का पालन कराने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस को राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राजमार्गों के अति जोखिम एवं अति व्यस्त रास्तों पर लगाया जाए। इसके अलावा कम से कम 10 लाख से अधिक आबादी वाले सभी प्रमुख शहर के महत्त्वपूर्ण चौराहों-गोल चक्करों पर इन उपकरणों को लगाया जाएगा। इस नोटिफिकेशन से साफ है कि राज्यों को अब रेड लाइट और राजमार्गों पर खासे इंतजाम करने होंगे।
उत्तर प्रदेश के कानपुर, लखनऊ, गाजियाबाद, वाराणसी, बरेली समेत 17 शहर, मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, उज्जैन समेत 7 शहर, राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, कोटा समेत 5 शहर, महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे, कोल्हापुर, नागपुर समेत 19 शहर, झारखंड के रांची, जमशेदपुर समेत 3 शहर, गुजरात के सूरत, अहमदाबाद समेत 4 शहर, बिहार में पटना, गया समेत 3 शहर के अलावा दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा, मेघालय, नागालैंड, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के मिलाकर 132 शहरों में डिजिटल उपकरण लगेंगे।
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