नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि उसने गरीब तबके के मरीजों को महंगी दवाओं से राहत देते हुए दवाओं की कीमत में प्रभावी नियंत्रण के लिए कारगर कदम उठाए हैं। इसके तहत 1032 दवाओं की कीमत को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाया गया है।

रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुखलाल मंडाविया ने शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि जनसामान्य द्वारा बड़ी संख्या में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की कीमत को नियंत्रित किया गया है। जरूरी दवाओं की कीमत में 90 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। मूल्य नियंत्रण के कारण ही अब 526 किस्म की विभिन्न दवाएं बाजार मूल्य से 90 प्रतिशत कम दाम पर जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध हो रही हैं। 

80 प्रतिशत से अधिक महंगी दवाओं को आवश्यक दवाओं की सूची से बाहर रखने के सवाल के जवाब में मंडाविया ने बताया कि आवश्यक दवाओं की सूची स्वास्थ्य मंत्रालय तैयार करता है। इसमें व्यापक इस्तेमाल वाली दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं का वितरण देश भर में संचालित 5358 जन औषधि केंद्रों से किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इन दवाओं की गुणवत्ता में भी कोई कमी नहीं होने का दावा करते हुए कहा कि मानकों की कसौटी पर ये दवाएं दुरुस्त पाई गई है। 

गरीब मरीजों को दवाएं नहीं मिल पाने की समस्या के सवाल पर मंडाविया ने बताया कि प्रत्येक जन औषधि केंद्र से 700 से अधिक दवाएं वितरित हो रही हैं। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि दवाओं की मात्रा कम हो सकती है। उन्होंने बताया कि जन औषधि केंद्रों पर प्रतिदिन औसतन 20 ट्रक दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

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