नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 200 रियल एस्टेट कंपनियों को बड़ा झटका दिया। शीर्ष अदालत ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें इन कंपनियों ने इनसॉल्वेंसी एंड बैकरप्सी कोड (आईबीसी) संशोधन के खिलाफ याचिका दायर कर संशोधन को गैर कानूनी और असंवैधानिक कहा था। इस फैसले से लाखों घर खरीदारों को राहत मिली है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस निर्णय को बरकरार रखा जिसके तहत आईबीसी  में संशोधन कर होम बायर्स को फाइनेंशियल क्रेडिटर्स का दर्जा दिया गया था।

देश की शीर्ष अदालत के इस निर्णय से घर खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी। अदालत ने दिवालिया कानून के संशोधनों को सही बताया है। इस संशोधन में घर खरीदारों को वित्तीय संस्थाओं के कर्जदार के बराबर दर्जा दिया गया है। इसमें घर खरीदारों को भी लोन देने वाले बैंकों के साथ फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा दिया गया है। इससे इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग में घर खरीदारों की सहमति की जरूरत होगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों को अधिकार दिया है कि वे क्रेडिटर्स की कमेटी में अपना पक्ष रख सकें और रियल एस्टेट कंपनी के खिलाफ दिवालिया घोषित करने का प्रस्ताव पेश कर सकें।

सुप्रीम कोर्ट ने आईबीसी कानून में केंद्र की तरफ से किए गए बदलाव में किसी भी प्रकार के संशोधन से इन्कार कर दिया है। अब तक बैंक कर्ज की वसूली के लिए एनसीएलटी में किसी बिल्डर कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया शुरू करा सकते थे। इससे मिले रुपयों पर उनका हक होता था लेकिन अब छोटे फ्लैट खरीदारों को भी हक मिलेगा।

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